हर तरफ चीत्कार: कांवड़ यात्रा बनी काल, छह मौतों पर हर आंख नम, चीखते रहे परिजन…, ये तूने क्या किया महाकाल!
मेरठ , एजेंसी। गांव से कांवड़ ले जाने वाले इस माह के शुरूआत से ही सभी डाक कांवड़ को लेकर उत्साहित थे। जिसके लिए चंदा इकट्ठा किया गया। पूरा बंदोबस्त होने के बाद 13 तारीख को हंसी-खुशी के साथ ट्रैक्टर पर डाक कांवड़ लेने के लिए गांव से निकल गए थे। ट्रैक्टर-ट्राली पर डीजे लगाया गया था। औघड़नाथ मंदिर में जल चढ़ाने के बाद उन्होंने गांव में फोन कर जानकारी दे दी थी कि कुछ घंटे बाद वह पहुंच जाएंगे। ग्रामीणों ने उनके स्वागत को लेकर पूरी तैयारियां भी कर ली थीं।
सभी भोले के गानों पर नाचते-गाते हुए गांव की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन एक ही पल में हंसी-खुशी का यह माहौल मातम में पसर गया। हादसे में जान गंवाने वाले हिमांशु, महेंद्र, प्रशांत, लखमी और मनीष ने यह सोचा भी नहीं होगा कि वह गांव की तरफ नहीं बढ़ रहे, बल्कि मौत उन्हें अपनी तरफ खींच रही है। बताया जा रहा है कि उन्हें रविवार सुबह गांव में जाना था, लेकिन मंदिर में जल चढ़ने के बाद तय किया गया कि अब सीधे गांव में ही जाएंगे।
रात डाक कांवड़ के 11 हजार केवी की हाईटेंशन लाइन से टकराने के हादसे में शिकार हुए सभी लोग जल चढ़ाकर घर पहुंचने के जोश से भरे हुए थे। उन्हें नहीं पता था कि गांव की दहलीज पर ही मौत उनका इंतजार कर रही है। कांवड़िये गाते हुए गांव की तरफ बढ़ रहे थे और ग्रामीण उनके स्वागत में भजन गा रहे थे, लेकिन गांव से एक किमी पहले ही सवा आठ बजे हादसा हो गया।
हादसे की खबर सुनते ही परिजन मौके पर दौड़े, चीख पुकार के बची परिजन बेटों की सलामती की दुआ करते रहे लेकिन छह कांवड़ियों की मौत हो गई।
पोस्टमार्टम के बाद रविवार दोपहर छह शवों को एक साथ एंबुलेस में लेकर गांव लाया गया तो हर किसी की आंख नम हो गई। पूरे गांव में हा-हाकार मचा हुआ है। आसपास के अन्य गांवों के लोग भी हादसे के बाद राली चौहान पहुंचे हैं।