उत्तराखंड में विधायकों के वेतन-भत्तों में कटौती पर गर्माई
देहरादून। मंत्री, विधायकों के वेतन समेत दो भत्तों से सालभर कटौती कर कोविड फंड में देने संबंधी कैबिनेट के निर्णय के अनुपालन को लेकर सूबे में सियासत गर्मा गई है। इस मामले में विपक्ष कांग्रेस द्वारा सत्तारुढ़ दल को आइना दिखाने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष ड़ इंदिरा हृदयेश ने कांग्रेस विधायक दल के सदस्यों के मूल वेतन से ही 30 फीसद कटौती का प्रस्ताव दिया है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। उधर, भाजपा विधायकों और पार्टी संगठन की ओर से कहा गया कि वेतन-भत्तों से कटौती के मामले में संभवतरू कहीं कोई गलतफहमी रही। विधायकों का कहना है कि वे कैबिनेट के फैसले के अनुरूप कटौती कराएंगे।
केंद्र की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने भी मंत्री, विधायकों के वेतन और निर्वाचन क्षेत्र और सचिवीय भत्ते में 30 फीसद कटौती का निर्णय लिया। बाद में विधानसभा ने विधायकों से नियमावली के अनुसार कटौती के संबंध में उनकी सहमति मांगी। लंबे इंतजार के बाद सहमति मिलने पर इसके आधार पर विधानसभा ने विधायकों के वेतन-भत्तों में कटौती की। इस बीच केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने बीते रोज सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी का हवाला देते हुए खुलासा किया कि सरकार के फैसले का भाजपा के विधायक ही पालन नहीं कर रहे। 46 विधायकों ने गुजरे तीन महीनों में निर्धारित से काफी कम कटौती की सहमति दी। अलबत्ता, कांग्रेस के सभी 11 विधायक निर्धारित कटौती करा रहे हैं।
अब इस मामले में सियासत खासी गर्मा गई है। नेता प्रतिपक्ष ़इंदिरा हृदयेश ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा कि कोरोना काल में कांग्रेस के सभी विधायक सरकार के साथ खड़े हैं। विधायक निधि से कटौती में भी विपक्ष की सहभागिता रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायकों ने वेतन-भत्तों में 30 फीसद की कटौती कराई है, जबकि सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने केवल मूल वेतन पर। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में सभी भारी आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं। पार्टी विधायकों से मिले पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि अब भविष्य में कांग्रेस विधायक दल के सदस्यों के मूल वेतन से ही 30 फीसद कटौती की जाए।