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वैष्णव अखाड़ों ने किया स्वामी रामभद्राचार्य को वैष्णव सार्वभौम जगदगुरू पदवी से सम्मानित

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हरिद्वार। पदम विभूषण से सम्मानित तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को तीनों वैष्णव अखाड़ों द्वारा वैष्णव सार्वभौम जगतगुरु पदवी से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल, सूचना महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान एवं अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह सहित मेला प्रशासन के कई अधिकारी उपस्थित रहे। इस दौरान जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि जो सम्मान उन्हें वैष्णव समाज द्वारा दिया गया है। उस कसौटी पर वे खरे उतरेंगे और वैष्णव परंपराओं का निर्वहन करते हुए निरंतर रामनाम का जाप कर समाज का मार्गदर्शन करते हुए धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए सब कुछ समर्पण करेंगे। जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने कहा कि श्री राम जन्म भूमि न्यास ट्रस्ट में भविष्य में वैष्णव अनी अखाड़ा के संत अध्यक्ष बनेंगे और श्री राम मंदिर ट्रस्ट को विश्व विख्यात बनाएंगे। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं है जब अयोध्या को रामतीर्थ के रूप में जाना जाएगा। इसके लिए वह जल्द ही प्रधानमंत्री से वार्ता करेंगे। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद कार्यक्रम को सीमित रूपरेखा में रखकर ही आयोजित किया गया है और आगामी 27 अप्रैल का शाही स्नान भी वैष्णव संत सीमित संख्या में ही करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद दार्शनिक और हिंदू धर्म गुरु जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज जगद्गुरू रामानंदाचार्य के बाद वैष्णव समाज के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान हैं। वैष्णव समाज के सभी संत यह आशा करते हैं कि भविष्य में श्री राम मंदिर न्यास ट्रस्ट का अध्यक्ष स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को बनाया जाए। उनके सानिध्य में भारत देश धर्म एवं संस्कृति की पताका को पूरे विश्व में लहराएगा। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज एवं अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्ण दास नगरिया महाराज ने कहा कि आधुनिक काल के प्रसिद्ध ज्ञानी वक्ता जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज साक्षात तुलसीदास का स्वरूप हैं। जिन्होंने चित्रकूट में विश्व का पहला आवासीय विकलांग विश्वविद्यालय स्थापित कर समाज को मानव सेवा की प्रेरणा दी। उनके द्वारा चलाए जा रहे सेवा प्रकल्प अनवरत रूप से समाज सेवा में जुटे हुए है।ं राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान अतुल्य है। महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा महाराज ने कहा कि बाल अवस्था से ही परम पूज्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने समाज का मार्गदर्शन करते हुए धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान करते चले आ रहे हैं। ऐसे महापुरुष से पूरा संत समाज गौरवान्वित है। कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने कहा कि महापुरुषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। संत समाज के सामने कुछ भी बोलना सूरज को दीपक दिखाने की तरह है। संत समाज ने सदैव ही भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन की प्रेरणा दी है और संत परंपरा से ही पूरे विश्व में भारत की एक अलग पहचान है। वह सौभाग्यशाली हैं कि गंगा तट पर उन्हें एक साथ महान संतों का सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि संत समाज की और से उन्हें जो सम्मान दिया गया है, वह केवल उनका नही बल्कि पूरी खाकी का सम्मान है। संपूर्ण कुंभ मेला पुलिस की मेहनत और कुशल नेतृत्व से 3 शाही स्नान सकुशल संपन्न हुए हैं और संत महापुरुषों के आशीर्वाद से संपूर्ण कुंभ मेला दिव्य एवं भव्य रुप से संपन्न होगा। अपर मेला अधिकारी हरवीर सिह ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में में बारह वर्ष में होने वाला कुंभ मेला पूरे विश्व को धार्मिक व आध्यात्मिक रूप से जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों एवं मेला प्रशासन के अधिकारियों का जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के उत्तराधिकारी स्वामी रामचंद्र दास महाराज ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमहंत राजेंद्रदास देवाचार्य, श्रीमहंत अशोक दास, महामण्डलेश्वर सेवादास, महामण्डलेश्वर साधनादास, महंत रामजीदास, महंत रामशरण दास, महंत नरेंद्र दास, महंत सुरेश दास, महंत महेश दास दास, महंत मनीष दास, महंत रामदास, महंत गौरीशंकर दास, महंत सुखदेव दास, महंत मोहनदास खाकी, महंत भगवानदास खाकी सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।

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