उत्तराखंड

बौद्घिक संपदा अधिकार संरक्षण के संबंध में शिक्षित होने की जरूरतरू कुलपति

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नैनीताल। कुमाऊं विवि के यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र स्थित देवदार सभागार में मंगलवार को बौद्घिक संपदा अधिकार संरक्षण विषय पर संगोष्ठी हुई। जिसमें विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो़ दीवान एस रावत ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद खेलकूद, गीत, संगीत, सिनेमा व थियेटर, साहित्य आदि क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की। लेकिन कभी ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं, कि हमारी कला, संस्ति एवं साहित्य की नकल हो जाती है। जिससे असली रचनाकार को उसका अधिकार नहीं मिल पाता। ऐसे में हमारा प्रयास है, कि कार्यशाला के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को बौद्घिक संपदा अधिकार संरक्षण के संबंध में शिक्षित किया जाए। मुख्य वक्ता प्रो़ उमेश वी बनाकर ने बताया कि बौद्घिक संपदा का अधिकार किसी आविष्कार एवं सृजनात्मक गतिविधियों के आधार पर प्रदान किया जाता है। ड़ राजश्री गुडे ने प्रतिभागियों को किसी नवीन उत्पाद के पेटेंट प्राप्त करने आदि की जानकारी दी। प्रो़ बीना पांडे ने बताया कि आईपीआर सेल का उद्देश्य संकाय सदस्यों और छात्रों के बीच बौद्घिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और शिक्षित करना है। इस मौके पर प्रो़ दिव्या उपाध्याय, निदेशक शोध एवं प्रसार प्रो़ एनजी साहू, ड़ाषेंद्र कुमार, ड़ तरुण जोशी, ड़ नगमा रहीं।

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