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विकास दूबे कानपुर हुआ ढेर

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लखनऊ , एजेंसी। कानपुर मुठभेड़ में ढेर गैंगस्टर विकास दुबे का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया है। फिलहाल डक्टरों की एक टीम उसका पोस्टमर्टम कर रही है। इससे पहले गैंगस्टर विकास दुबे का पोस्टमर्टम से पहले कोरोना टेस्ट किया गया। डक्टरों की एक टीम ने विकास दुबे के शरीर से सैंपल लिए। वीडियोग्राफी के साथ डक्टरों की एक टीम उसका पोस्टमार्टम कर रही है। गौरतलब है कि यूपी पुलिस के आठ जवानों की हत्घ्या का मुख्घ्य आरोपी विकास दुबे आज सुबह कानपुर में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। यूपी एसटीएफ की गाड़ी विकास को लेकर कानपुर आ रही थी। पुलिस के मुताबिक बर्रा के पास अचानक रास्घ्ते में गाड़ी पलट गई। इस हादसे में चार सिपाही घायल हो गए।
इसके बावजूद विकास पुलिस के चंगुल से बचकर भागने के फिराक में था। उसने मौका पाकर एसटीएफ के एक अधिकारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इसी के बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। एसटीएफ ने विकास से हथियार रखकर आत्मसमर्पण करने को कहा। वह इसके बावजूद नहीं माना तो पुलिस को मजबूरन एनकाउंटर करना पड़ा। एनकाउंटर में गोली लगने के बाद हिस्ट्री शीटर विकास दुबे की मौत हो गई।
बता दें कि कानपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई की रात को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर देशभर में सुर्खियों में आया उत्तर प्रदेश का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे गुरुवार सुबह उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में मिला था। छह दिन की तलाश के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, जिस कुख्यात अपराधी को लेकर कई राज्यों की पुलिस अलर्ट थी, उसकी गिरफ्तारी उतनी ही नाटकीय ढंग से हुई।
हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे मुठभेड़ पोस्टमार्टम हो गया है। पुलिस से मुठभेड़ के दौरान विकास दुबे को तीन गोलियां लगीं। तीनों गोलियां आरपार हुईं। दो गोलियां सीने पर और एक कमर में लगी। ड़ अरविंद अवस्थी, ड़ शशिकांत मिश्र व ड़ विपुल चतुर्वेदी के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। विकास के बहनोई दिनेश तिवारी पोस्टमार्टम के बाद एम्बुलेंस से शव लेकर रवाना हुए। साथ में पुलिस की टीम भी है।
वर्ष 2001 में कानपुर देहात के शिवली पुलिस स्टेशन के भीतर दिन-दहाड़े गैंगस्टर विकास दुबे ने भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। माचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला ने कहा है कि आज हर वह व्यक्ति खुश है, जिसके खिलाफ उसने अपराध किया था। मुझे न्याय मिलने में 19 साल लग गए। यदि उसे तब ही जेल भेज दिया जाता तो आज इतने परिवार नहीं उजड़ते।
यूपी एसटीएफ ने हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे मुठभेड़ मामले में प्रेस नोट जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि एसटीएफ के वाहन के सामने मवेशियों का एक झुंड आ गया था, जिसके कारण गाड़ी की दुर्घटना हो गई। पुलिस ने उसे जिंदा पकड़ने के लिए उसके करीब जाने की कोशिश की, लेकिन वह गोलियां चलाता रहा। पुलिस ने आत्मरक्षा में पलटवार किया।
कानपुर के बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे व उसके गुर्गों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल हुए गोरखपुर में गोला क्षेत्र के बेलपार पाठक निवासी व कानपुर में तैनात दारोगा सुधाकर पांडेय स्वस्थ होकर अपने गांव आए हैं। सुबह मुठभेड़ में विकास दुबे के मारे जाने के बाद सुधाकर पांडेय और उनका परिवार काफी खुश है। विकास के मारे जाने पर उन्होंने सत्यनारायण व्रत कथा सुनी।
कानपुर में सचेंडी क्षेत्र के कन्हैया लाल हस्पिटल के पास एनकाउंटर स्थल का मुआयना करने कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार पी और आईजी मोहित अग्रवाल हैलट अस्पताल भी पहुंचे। कानपुर के एसएसपी दिनेश पी ने विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि की है। एसएसपी दिनेश कुमार पी के मुताबिक गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे पुलिस वालों के हथियार लेकर भाग रहा था। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने फायरिंग की और जवाबी कार्रवाई में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया।
एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि विकास दुबे को ला रहे वाहनों के काफिले के पीटे कुछ गाड़ियां लगी हुई थी। वह लोग लगातार पुलिस की गाड़ी के काफिले का पीछा कर रहे थे। इसी कारण गाड़ी तेज भगाने की कोशिश की गई। बारिश तेज थी इसलिए गाड़ी पलट गई। इसी में मौके का फायदा उठाकर विकास दुबे भागने की कोशिश में था। एसटीएफ जवान इस गाड़ी को पीटे से फलो कर रहे थे। उन्होंने कम्बिंग की। फायरिंग हुई और सेल्फ डिदेंस में विकास दुबे पर गोली चलाई गई। जिससे वह मारा गया। एसएसपी ने बताया कि एनकाउंटर कोई चीज नहीं होती। हम न्यायिक प्रक्रिया को फलो करते हैं। विकास के जो भी गुर्गे हैं सबको गिरफ्तार किया जाएगा।
पुलिस के काफिले में तीन गाड़ियां थीं। पनकी थाना क्षेत्र के भौंती के पास पुलिस की टीयूवी कार पलट गई। इस दौरान विकास ने नवाबगंज थाना प्रभारी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की तो मुठभेड़ में पुलिस ने उसे मार गिराया। उसे सिर और सीने में तीन गोलियां लगी हैं। ब्रेन हेमरेज से उसकी मौत बताई जा रही है।
जब यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स टीम कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी को मध्य प्रदेश से लेकर चली, तभी से मीडिया की गाडियां उसका पीछा कर रहीं थी। इस दौरान कानपुर तक भी मीडिया की गाड़ियां पीटे थी, लेकिन एक जगह पर करीब एक किलोमीटर पहले तक मीडिया की गाड़ियों को रोक दिया गया और चेकिंग की जा रही थी। इसके तुरंत बाद एसटीएफ के काफिले में शामिल गाड़ी के पलटने की खबर आई।

रात में सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका
नई दिल्ली, एजेंसी। दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की कानपुर में पुलिस के साथ एनकाउंटर में मौत से पहले उसकी एनकाउंटर की आशंका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। इस याचिका में उसके पांच सहयोगियों की उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत की जांच के लिए आदेश देने की मांग की गई थी, जो दो जुलाई की रात कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे। याचिकाकर्ता ने दुबे की मुठभेड़ हत्या की आशंका भी व्यक्त की थी और मामले की सीबीआइ जांच की मांग की थी। वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए गुरुवार को याचिका दायर की थी। इसके कुछ घंटों बाद शुक्रवार को कानपुर के रास्ते में एसटीएफ अधिकारियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुबे की मौत हो गई। उज्जैन में मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। उसे यूपी पुलिस व एसटीएफ टीम आज कानपुर ला रही थी। जानकारी के अनुसार इस दौरान पुलिस का वाहन दुर्घटना ग्रस्त होकर पलट गया।

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