उत्तराखंड

लटरी स्थगित करने की मांग को डीएम से मिले ग्रामीण

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नई टिहरी। रौलाकोट के ग्रामीणों ने विस्थापन के तहत भूखंड आवंटन को लेकर हो रही लटरी को विस्थापन नीती के विरुद्घ बताते हुये प्रतापनगर के विधायक विक्रम सिंह नेगी के नेतृत्व में पुनर्वास निदेशक व डीएम इवा श्रीवास्तव से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। ग्रामीणों ने नीति के मानकों के तहत विस्थापन करवाने की मांग करते हुये लटरी स्थगित करने की मांग की। डीएम इवा श्रीवास्तव से शुक्रवार को विधायक नेगी के नेतृत्व में विस्थापन को लेकर आ रही तमाम तरह की खामियों को देखते हुये रौलाकोट गांव के ग्रामीण मिले। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विस्थापन के दायरे में आये 124 परिवारों के लिए भूखंड आवंटन को 25 अप्रैल को लटरी रखी गई है। ग्रामीणों ने डीएम के समक्ष बात रखते हुये कहा कि विस्थापन में 364 मीटर के परिवारों की भूमि नहीं लेने का नियम हैं। जबकि टीएचडीसी 364 मीटर से ऊपर रहे रहे परिवारों की भी रजिस्ट्री मांग रही है। इसके साथ ही पूर्व में गांव के विस्थापित परिवारों को ढाई बीघा जमीन दी गई, अब भूखंड आवंटन में मात्र डेढ़ बीघा जमीन दी जा रही है। विधायक नेगी ने डीएम के समक्ष ग्रामीणों का पक्ष रखते हुये कहा कि 364 मीटर से ऊपर रह रहे परिवारों की भूमि लिया जाना सरासर गलत है। टीएचडीसी विस्थापन नीति के विपरीत मनमानी कर यह काम कर रही है। जिस पर रोक लगनी चाहिए। गांव के टूटे परिवारों को विस्थापितों के दायरे में लाने की बात कही। डीएम ने कहा कि लटरी की तिथि तय है। लटरी स्थगित नहीं की जा सकती है। लटरी से जिन लोगों को ऐतराज है, वे लटरी में हिस्सा न लें और अपनी परेशानी को लिखित रूप में प्रस्तुत करें। 364 मीटर वाली समस्या पर आपति दर्ज करवायें। इस मामले में टीएचडीसी से वार्ता की जायेगी। डीएम ने कहा कि अभी लटरी के माध्यम से मात्र भूखंड का कागजी आवंटन किया जा रहा है। रजिस्ट्री करवाने के बाद ही भूखंड की कब्जा भूखंड पूरी तरह से तैयार कर दिये जायेंगे। अगर भूखंड कोई विस्थापित न लेना चाहिए, तो वह रजिस्ट्री न करें। डीएम ने बैठक कर मामले में टीएचडीसी के वार्ता करने की बात कही।

 

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