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अमित शाह क्यों बोले- ‘ये मेरी जिद है’, अब दूसरे देशों में भी नहीं बचेंगे इस अपराध के कारोबारी

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नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि 2047 तक भारत को नशा मुक्त कर दिया जाएगा। नशे के सौदागर देश से बाहर होंगे, तो भी उन्हें पकड़ लेंगे। देश को नशा मुक्त बनाना ‘ये मेरी जिद है’। एनसीबी द्वारा 2014 के बाद पकड़े गए मादक पदार्थों की मात्रा में सौ फीसदी की वृद्धि हुई है। इसका व्यापार करने वालों के खिलाफ 181 फीसदी ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। साल 2006 से लेकर 2013 तक कुल 1257 मामले दर्ज किए थे, जबकि 2014 से 2022 तक 3544 केस दर्ज हुए हैं।
एनसीबी ने केंद्रीय एवं राज्यों की एजेंसियों के साथ मिलकर नशे के सौदागरों पर चोट की है। सभी एजेंसियों के पास मादक पदार्थों की पहचान करने, पुख्ता जांच और आरोपियों को सख्त सजा दिलाने का हुनर है। सितंबर 2021 में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन अगर पकड़ी जा सकी, तो उसके पीछे जांच टीम की सतर्कता रही थी। टैलकम पाउडर बताकर वह हेरोइन भारत लाई जा रही थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशन में एनसीबी ने नशे के सौदागरों पर गहरी चोट की है। नशे की पहचान से लेकर उसकी जड़ों तक एनसीबी पहुंच रही है।
अगर जांच एजेंसियां सतर्क न होतीं, तो गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर हेरोइन की इतनी बड़ी खेप नहीं पकड़ी जाती। भले ही उस खेप को राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पकड़ा था। कंटेनरों में टैलकम पाउडर भरा होने की बात कही गई। जांच एजेंसी के होनहार अफसरों ने जब दस्तावेज चेक किए तो मामला खुलने में देर नहीं लगी। उदाहरण के तौर पर अगर कोई चार रुपये का माल खरीद कर लाया है। हिसाब किताब लगाया तो मालूम पड़ा कि चार रुपये के माल का भाड़ा ही चार सौ रुपये बन रहा था। ऐसा भी नहीं था कि देश में उस पाउडर की कोई किल्लत थी। एकाएक उस पाउडर की हैवी डिमांड भी जनरेट नहीं हुई थी। जांच एजेंसी के अधिकारियों को यहीं से शक होना शुरु हुआ। एक कंटेनर की जांच हुई तो टैलकम पाउडर की जगह हेरोइन निकली। जिस प्राइवेट एजेंसी ने जहाज पर माल लादा था, उस पर कार्रवाई हुई। जो लोग इसे भारत लाए थे, वे भी सलाखों के पीछे गए। उस कंपनी के खिलाफ दुबई और अफगानिस्तान में बैन लगा। ये सब जांच टीम की सतर्कता के कारण ही संभव हो सका।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, साल 2006 से लेकर 2013 तक 1.52 लाख किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किए गए थे। 2014 से 2022 तक 3.73 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त की गई है। जून 2022 से लेकर मार्च 2023 तक 594620 किलोग्राम ड्रग्स नष्ट की गई है। इस ड्रग की कीमत 8409 करोड़ रुपये बताई गई है। अमित शाह ने कहा, मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल विभिन्न परतों का पता लगाने के लिए और मादक पदार्थों की बड़ी जब्ती के मामलों की विस्तृत जांच के लिए 2019 में संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया गया।
एनसीबी द्वारा नारकोटिक्स, नार्को फंडिंग, नार्को टेरर से संबंधित प्रकरणों, नशीली दवाओं की तस्करी के ट्रेंड के विश्लेषण और अपराधियों से संबंधित विस्तृत नेशनल डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। इंटरपोल के साथ मिलकर एक कारगर योजना पर काम हो रहा है। देश के बाहर कोई आरोपी है तो उसके लिए एनआईए की मदद ली जा सकती है। समुद्री मार्ग से लगभग 60 से 70 फीसदी ड्रग्स की तस्करी होती है।
यहां पर ड्रग्स सिंडिकेट का नेटवर्क तोड़ने के लिए कई एजेंसियां मसलन, आईबी, एनसीबी, रॉ, कोस्ट गार्ड, नेवी और पोर्ट अथॉरिटी आदि काम कर रही हैं। सभी स्टेकहोल्डर्स द्वारा व्यापक एवं समेकित नीति बनाई जा रही है। देश की सभी बंदरगाह, चाहे वे सरकारी हों या निजी, पर ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास हो रहा है ताकि वहां आने जाने वाले कंटेनर्स की एक प्रक्रिया के अनुसार स्कैनिंग की जा सके। कंटेनर स्कैनर और संबंधित उपकरणों के प्रबंध को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है। कई राजमार्गों पर भी ऐसे स्कैनर लगाने की योजना बनाई जा रही है।

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