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क्या समलैंगिक शादी को मिलेगी कानूनी मान्यता, केंद्र ने अभिजात वर्ग की सोच क्यों कहा?

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नई दिल्ली , एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार से सुनवाई शुरू की गई है। इससे पहले, केंद्र ने कोर्ट में नया आवेदन दायर किया जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर विचार करने पर सवाल उठाए। केंद्र ने कहा कि शादी एक सामाजिक संस्था है और इस पर किसी नए अधिकार के सृजन या संबंध को मान्यता देने का अधिकार न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।
पिछले कुछ समय में देशभर की कई अदालतों में याचिकाएं दायर करके समलैंगिक विवाह को वैधानिक मान्यता देने की मांग की जा रही है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ऐसी 20 याचिकाओं को क्लब करके सुनवाई शुरू की। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा?
25 नवंबर, 2022: दो समलैंगिक जोड़ों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी किया।
14 दिसंबर, 2022: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी किया।
6 जनवरी, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। उखक डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर दिल्ली, केरल और गुजरात सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया।
30 जनवरी, 10 फरवरी, 20 फरवरी और 3 मार्च, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की मांग करने वाली और याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और उन्हें मुख्य मामले से क्लब कर दिया।
12 मार्च, 2023: केंद्र ने समलैंगिक विवाह का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया।
13 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया।
1 अप्रैल, 2023: जमीयत उलमा-ए-हिंद ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं का विरोध किया।
6 अप्रैल 2023: दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (ऊउढउफ) ने एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया, जिसमें समलैंगिक विवाह और समान-लिंग वाले जोड़ों को गोद लेने के अधिकार का समर्थन किया गया।
15 अप्रैल, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए पांच जजों की बेंच के गठन को अधिसूचित किया।
17 अप्रैल, 2023: केंद्र ने एक नया आवेदन दायर किया और याचिकाओं की संविधान पीठ द्वारा सुनवाई पर सवाल उठाए।
17 अप्रैल, 2023: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कई पहलुओं पर आपत्ति जताई।
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के विरोध में कौन?
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलेगी या नहीं यह तो कोर्ट में तय होगा लेकिन इससे पहले कई स्तर पर इसका विरोध हो रहा है। केंद्र सरकार से लेकर, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया है।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि उनके बारे में योजनाओं को एक बहुत ही जटिल सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखना होता है। दूतावास इस संबंध में लगातार मंत्रालय के संपर्क में है। उनकी स्थिति का राजनीतिकरण करना आपके लिए घोर गैरजिम्मेदाराना है। कोई भी चुनावी लक्ष्य विदेशों में भारतीयों को खतरे में डालने को सही नहीं ठहराता। गौरतलब है कि 14 अप्रैल को लड़ाई शुरू होने के बाद से, खार्तूम में भारतीय दूतावास सूडान में अधिकांश भारतीय नागरिकों और पीआईओ के साथ लगातार संपर्क में है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा कि खार्तूम में हालात बेहद चिंताजनक हैं और भारत स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। वहीं एक भारतीय की मौत पर जयशंकर ने कहा कि वे इसे लेकर काफी दुखी हैं और दूतावास परिवार को सारी मदद मुहैया कराने की कोशिश में है। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि वह भारतीय नागरिक की मौत से आहत हैं। भारतीय दूतावास आगे की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए पीड़ित परिवार और चिकित्सा विभाग के संपर्क में है।
वहीं, खार्तूम में बड़े पैमाने पर हिंसा के बाद भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने और घर के अंदर रहने की सलाह दी। शनिवार को एक ट्वीट में, मिशन ने भारतीयों से शांत रहने और अपडेट की प्रतीक्षा करने का भी आग्रह किया।
अफ्रीकी देश सूडान इन दिनों हिंसा की चपेट में जकड़ा हुआ है। यहां की राजधानी खार्तूम में सेना और देश के ताकतवर अर्धसैनिक बल, रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) के बीच भयंकर लड़ाई छिड़ी हुई है। शनिवार से शुरू हुई हिंसक झड़प मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रही। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, इस झड़प में अब तक कुल 185 लोग मारे जा चुके हैं जबकि घायलों की संख्या 1800 है।
हालिया हिंसक घटनाओं की जड़ें तीन साल पहले हुआ तख्तापलट से जुड़ी हैं। दरअसल, अप्रैल 2019 में एक विद्रोह के बीच सैन्य जनरलों द्वारा लंबे समय से शासन कर रहे निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। तब से वह एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है। सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंद्विता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है। ताजा झड़प की वजह ये है कि सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अद्र्धसैनिकल बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

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