उत्तराखंड

जिले के थानों में दो करोड़ से होगा महिला डेस्क का निर्माणरू बंसल

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हरिद्वार। राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि हरिद्वार जिले के सभी थानों में दो करोड़ रुपये की लागत से महिला डेस्क का निर्माण किया जाएगा। ताकि महिलाओं की समस्याओं को थाने में महिला अधिकारी अलग से सुन सकें। यह घोषणा उन्होंने हरिद्वार में आयोजित नारी शक्ति महोत्सव के दौरान मंच से की। सोमवार को हरिद्वार केाषिकुल मैदान में नारी शक्ति महोत्सव को संबोधित करते हुए सांसद बंसल ने कहा कि राज्य सरकार की महिलाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का धन्यवाद करने बड़ी संख्या ने महिलाएं महोत्सव में पहुंची है। महिलाओं के लिए सीएम बहुत कुछ कर रहे है। इस क्रम में महिलाओं के लिए जिले के सभी थानों में महिला डेस्क निर्माण करने के लिए दो करोड़ रुपये सांसद निधि से देने की घोषणा करता हूं। थानों में महिलाओं के लिए सुसज्जित कमरे का निर्माण किया जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद ड़ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा की पहले सीएम ने महिलाओं को 33 फीसदी का आरक्षण दिया। उसके बाद 50 फीसदी महिलाओं को जन प्रतिनिधित्व चुनाव में दिया है। अब सीएम ने देश में सबसे पहले समान नागरिक संहिता को विधानसभा में पास कराकर माता और बहनों का सम्मान किया है। हरिद्वार के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। सीएम के नेतृत्व में महिलाओं के उत्थान के लिए एक नहीं बल्कि कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। सीएम के नेतृत्व में 18 हजार महिलाएं लखपति दीदी बनी है। सीएम का लक्ष्य जिले में 35 हजार महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है। राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी ने महिलाओं के लिए चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। शहर विधायक मदन कौशिक ने कहा कि उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य है, जहां सामान नागरिक संहिता कानून विधानसभा में पास हुआ। जिस दिन यूसीसी का कानून बिल उत्तराखंड विधानसभा में आया था, उसी दिन राजस्थान के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी की उत्तराखंड की तर्ज पर राजस्थान में भी यूसीसी कानून लागू किया जाएगा। इसके लिए सीएम बधाई के पात्र हैं। उत्तराखंड सरकार ने अपने चुनावी पत्र में घोषणा की थी कि सरकार बनने पर यूसीसी कानून लागू किया जाएगा। घोषणा पत्र के अनुरूप यूसीसी कानून विधानसभा में पास किया गया है। यूसीसी कानून बनने के बाद सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं का होगा। सबसे ज्यादा अधिकार यूसीसी कानून के तहत महिलाओं को मिलेंगे।

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