बिग ब्रेकिंग

24 घंटों के लिए यलो अलर्ट जारी, बदरीनाथ हाईवे बंद, धारचूला में 80 परिवारों ने छोड़ा घर

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

देहरादून । उत्तराखंड में पिछले दो दिन से लगातार हो रही वर्षा ने दुश्वारियां खड़ी कर दी हैं। पहाड़ से लेकर मैदान तक जनजीवन अस्तव्यस्त हो चुका है। भूस्खलन के कारण कई स्थानों पर सड़कें बाधित हैं। यात्रा मार्गों पर जहां-तहां श्रद्घालु फंसे हैं और नदी-नाले उफान पर आने से आमजन दहशत में है।
हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा चेतावनी रेखा के पार बह रही है। वहीं, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में एलधारा की पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण 80 परिवारों ने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में शरण ले ली है। धारचूला बाजार में एलधारा के पास 20 मीटर सड़क बह गई है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए यलो अलर्ट जारी करते हुए सात जिलों में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा का अंदेशा जताया है।
प्रदेश में रविवार सुबह से वर्षा का क्रम जारी रहा। चारधाम यात्रा मार्ग भूस्खलन के कारण दिनभर खुलते और बंद होते रहे।ाषिकेश-बदरीनाथ हाईवे तोताघाटी में चार घंटे, सिरोबगड़ में एक घंटे और लामबगड़ में दोपहर 12 बजे के बाद से बंद है।
लगातार वर्षा होने से हाईवे खोलने का काम भी बाधित हो रहा है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने बदरीनाथ जाने वाले 700 यात्रियों को पांडुकेश्वर, गोविंदघाट और जोशीमठ में ही रोक दिया है। इधर, वर्षा से मलबा आने के कारण पहाड़ में 50 से अधिक ग्रामीण मोटर मार्ग बंद पड़े हैं।
चमोली की पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने बताया कि तीर्थ यात्रियों को गोविंदघाट, पांडुकेश्वर और जोशीमठ में रोका गया है। बदरीनाथ में अभी करीब 500 श्रद्घालु मौजूद हैं।
वहीं केदारनाथ हाईवे भीरी के पास कुछ समय के लिए बाधित रहा और यमुनोत्री राजमार्ग पर ब्रह्मखाल सिल्क्यारा के बीच दलदल की स्थिति बनी हुई है। यमुनोत्री मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण रविवार को दूसरे दिन भी यमुनोत्री यात्रा पर प्रशासन ने रोक लगाए रखी। उत्तरकाशी के बड़कोट तहसील के डंडाल गांव में जमीन पर दरारें आने से ग्रामीण दहशत में आ गए। चमोली जिले में 37 संपर्क मार्ग भूस्खलन के कारण बंद हैं।
भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के नजदीक बने हेलीपैड का मलबा बहने से पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। श्रीनगर में उफल्टा के समीप पहाड़ी से अचानक भूस्खलन होने से सिंचाई विभाग के अभियंता के आवास और र्केप कार्यालय का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। टिहरी जिले में 11 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्घ हैं। मौसम विभाग के निदेशक के मुताबिक अगले 24 घंटे के भीतर देहरादून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल, उधमसिंह नगर, चंपावत में कहीं कहीं भारी वर्षा हो सकती है।
श्रीनगर से लगभग चार किलोमीटर दूर उफल्डा के समीप मालढैय्या पर रविवार को प्रातरू लगभग साढ़े 11 बजे अचानक छोटी पहाड़ी से हुए भारी भूस्खलन से श्रीनगर से कीर्तिनगर के मध्य हाईवे पर वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। भूस्खलन से सिंचाई विभाग की आवासीय कालोनी के लिए बनाई गई बड़ी सुरक्षात्मक दीवार भी ढह गई, जिससे अधिशासी अभियंता के आवास और र्केप कार्यालय के दो कमरे भी हवा में झूल गए। पूरे भवन में दरारें भी आ गई।
प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के विधानसभा परिसर भराड़ीसैंण के पास हेलीपैड के विस्तारीकरण का मलबा गिरने से जहां सैकड़ों पेड़ दब गए, वहीं चोरड़ा गांव की पेयजल योजना भी पूरी तरह ध्वस्त हो गई। इस घटना से तहसील प्रशासन में हड़कंप मच गया।
ग्रामीणों ने इस घटना के लिए ग्रामीण निर्माण विभाग (आरडब्लूडी) के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं तहसीलदार राकेश पल्लव ने रविवार को घटनास्थल का निरीक्षण किया। साथ ही सोमवार को आरडब्लूडी अधिकारियों को बुलाकर उनका जवाब तलब किया है।
वर्षा के चलते जगह-जगह दरके पहाड़ों का मलबा रोड पर आने से जौनसार-बावर क्षेत्र के 16 मोटर मार्ग बंद रहे, इनमें दो राज्य मार्ग भी हैं। वर्तमान में लोनिवि निर्माण खंड का एक, लोनिवि साहिया के पांच, लोनिवि चकराता के सात और पीएमजीएसवाई के तीन मार्ग बंद होने की वजह से करीब चार दर्जन गांवों, खेड़ों और मजरों के ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित है। बंद मार्गों पर जगह-जगह षि उपज से लदे वाहन फंसे रहे।
जौनसार-बावर के चकराता क्षेत्र में 0़50 मिमी, लाखामंडल में 12़50 एमएम, कालसी में एक एमएम, नागथात में 11़50 एमएम, पछवादून के सहसपुर क्षेत्र में 19 एमएम वर्षा हुई, जबकि विकासनगर में हल्की बौछार चलती रही। रविवार को कभी वर्षा तो कभी धूप की स्थिति रही। भले ही वर्षा कम हुई हो, लेकिन जौनसार के पहाड़ों पर भूस्खलन की गति जारी रही।
वर्षा से यमुना व टोंस नदियों में जल प्रवाह बढ़ा है। शनिवार को यमुना का डिस्चार्ज 9500 क्यूसेक रहा।यमुना नदी का डाकपत्थर बैराज पर जलस्तर 455़37 मीटर रहा, जबकि यहां पर खतरे का निशान 455़37 मीटर पर है। जलस्तर खतरे के निशान पर आने की वजह से बैराज से फ्लड को पास किया जा रहा है। टौंस नदी का इच्छाड़ी बांध में जलस्तर 632 मीटर तक पहुंचा। यहां पर खतरे का निशान 644़75 मीटर पर है।
विकासनगर क्षेत्र के नालों के उफान पर आने से आसपास के गांवों में क्षति होने की आशंका से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। नालों के उफान पर होने से आवागन भी बाधित हो रहा है। सोरना, बड़वा, टिकरी, डोभरी, होरावाला, रजौली, कोटडा कल्याणपुर, बिरसनी, कोटी आदि गांवों का संपर्क शहरी क्षेत्र से कट गया है।
हसनपुर कल्याणपुर के पास पांच नालों के कारण भूकटाव हो रहा है, हालता यह है कि करीब 30 बीघा जमीन दरियाबुर्द हो गई। आसन में फंसी ट्रैक्टर ट्राली को किसी तरह निकाला गया।
तेज बहाव के कारण पुस्ते टूटने से मलूकचंद गांव पर भी खतरा भी बढ़ गया है। रुद्रपुर में गोना नदी के रपटे के उफान पर आने से कई घंटे आवागमन ठप हो जा रहा है। लोग खतरा उठाकर रपटे को पार करने को मजबूर हैं। शिमला बाईपास पर करीब एक दर्जन रपटे हर साल राहगीरों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जबिक ग्रामीण प्रत्येक वर्ष के दौरान परेशानी उठा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!