कोटद्वार-पौड़ी

आपदा को लेकर प्रशासन ने कसी कमर, गिंवई और तेली स्रोत में होगा चैनलाइजेशन

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आपदा से निपटने से लिए कोटद्वार प्रशासन ने कमर कस ली है। जहां प्रशासन से नालों को साफ करने के लिए रीवर टे्रनिंग नीति के तहत गिंवई स्रोत और तेली स्रोत में शार्ट टर्म में चैनलाइजेशन कराने की योजना बनाई है। वहीं आपदा कंट्रोल रूम में 24 घंटे कर्मचारी तैनात है। जबकि, सिंचाई विभाग की ओर से भी लगातार नदियों पर निगरानी रखने के साथ बाढ़ सुरक्षा के कार्य भी किए जा रहे हैं। गिंवई स्रोत नाला के बहाव में पिछले वर्ष एक मकान बह गया था, जबकि आसपास के घरों में मलबा घुस गया था।
कोटद्वार भाबर में तीन प्रमुख खोह, सुखरौ और मालन नदी बहती है। इसके अलावा नगर क्षेत्र के आसपास कई छोटे-बड़े नाले गवालगढ़, गिंवई स्रोत, पनियाली स्रोत, सिगड़ी स्रोत, बहेड़ास्रोत समेत कई नाले मौजूद हैं। जिनका बरसात में जलस्तर बढ़ जाता है और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। पनियाली स्रोत गेदेरा पिछले तीन सालों से कोटद्वार में तबाही मचा रहा है। इस नाले पर अतिक्रमण होने से बरसात में नाले का जलस्तर बढ़ने से नाले का पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। वहीं गिंवई स्रोत नाले में भी बरसात के समय जल स्तर बढ़ने से पानी आसपास स्थिति घरों में भर जाता है। पिछले वर्ष गिंवई स्रोत नाले के उफान पर आने से एक मकान बह गया था। हालांकि जिस समय मकान बहा उस समय मकान में कोई नहीं था। प्रशासन ने खोह, सुखरो नदी सहित ग्वालगढ़, सिगड्डी स्रोत में रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत चैनेलाइज का कार्य कराया है। अब प्रशासन ने गिंवई और तेली स्रोत नाले को चिह्नित कर रिवर ट्रेनिंग नीति के तहत शॉर्ट टर्म में चैनेलाइज करने का विचार विमर्श किया है। जिसके लिए स्थानीय प्रशासन जल्द ही विज्ञप्ति जारी करने जा रहा है। स्थानीय प्रशासन की मानें तो बरसात में बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए वो पूरी तरह से तैयार है।
उप जिलाधिकारी योगेश मेहरा ने बताया कि आपदा के मद्देनजर सभी विभागों की एक बैठक भी बुलाई गई है। इस बार उन जगहों को चिह्नित किया गया है। जहां पर बारिश का पानी आबादी वाले क्षेत्र में घुस जाता है। उन जगहों पर रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा नगर क्षेत्र के अंदर कुछ नाले हैं, जहां बारिश के पानी आ जाने से काफी मलबा इकट्ठा हो गया है। ऐसे में मलबे का निस्तारण नहीं किया तो बारिश का पानी आबादी वाले क्षेत्र में घुस सकता है। जिसे देखते हुए शॉर्ट टर्म तकरीबन 6 से 7 दिन के लिए रिवर ट्रेनिंग के तहत परमिशन दी जा रही है। एसडीएम ने बताया कि मॉनसून में फैलने वाली संक्रमित बीमारियों को देखते हुए नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति भी हो चुकी और कोटद्वार बेस अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ मौजूद है।

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