कहीं आप भी तो नहीं खा रहे एक बार से ज्यादा पके हुए तेल के खाद्य पदार्थ
-ऐसा करते हैं तो हो जाइए सावधान, एक बार से ज्यादा गर्म करने पर तेल हो जाता है जहरीला
-कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म देता है एक बार से ज्यादा इस्तेमाल किया हुआ तेल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : जब भी कुछ चटपटा खाने या खाने में बदलाव का मन होता है तो हम बाजार की दौड़ लगा देते हैं। जहां भी स्वादिष्ट समोसे, कचोड़ियां, छोले-भटूरे, फ्राइड मोमोज आदि दिख जाते हैं वहां हमारे कदम खुद ब खुद रुक जाते हैं। हम इन तले-भुने खाद्य पदार्थों को खरीदने से पहले एक पल भी नहीं सोचते कि इन्हें कैसे तेल में तला गया है और अनजाने में अपने साथ ही अपने परिवार को भी बीमार बना देते हैं। हम बात कर रहे हैं ऐसे तेल की जिसे एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई बार गर्म किया जाता है और कई दिनों तक उसी तेल में इन स्वादिष्ट लगने वाले खाद्य पदार्थों को तला जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि खाद्य तेल को जितनी बार गर्म किया जाता है, वह उतनी बार ही और जहरीला होता जाता है। ऐसे में अगर आप भी बाहर से समोसे, कचोड़ी व छोले-भटूरे जैसी वस्तुओं को खाने का शौक रखते हैं तो थोड़ा सावधान हो जाएं।
बता दें कि अधिकांश होटल, ढाबे, ठेली वाले एक बार खाद्य पदार्थों को तेल में तलने के बाद उस तेल को फिर से इस्तेमाल में लाते हैं। वह बार-बार इस तेल को गर्म करते हैं और समोसे, छोले-भटूरे, फ्राइड मोमोज को इसमें तलते हैं। जितनी बार यह तेल गर्म होता है, उतनी बार यह अपने न्यूट्रीशन खोता जाता है और जहर में बदलने लगता है। इस तेल में बने खाद्य पदार्थों को खाने से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती और वह अनजाने में खुद के साथ अपने परिवार को भी बीमार बना देते हैं। कभी-कभी तो इस तेल में बने खाद्य पदार्थों के दुष्परिणाम हाथों हाथ ही दिख जाते हैं और कभी इनमें समय लगता है। ऐसे में अगर आप भी बाहर के खाने के शौकीन हैं तो थोड़ा सतर्क होने की आवश्कता है।
घर पर भी लोग कर देते हैं यह लापरवाही
ऐसा नहीं है कि सिर्फ होटल, ढाबे या ठेली वाले ही तेल को एक बार गर्म करने के बाद बार-बार इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर हमारे घर पर भी ऐसी लापरवाही आसानी से देखी जा सकती है। रसोई में लोग कुछ भी तलने के लिए कढ़ाई में इतना सारा तेल भर लेते हैं कि चाहकर भी उसे फैंका नहीं जा सकता है। ऐसे में लोग उसे बार-बार गर्म करते हैं और इस्तेमाल करते रहते हैं। जिससे वह अपने साथ ही परिवार की सेहत बिगाड़ देते हैं।
अधिकांश ढाबा, ठेली संचालकों को पता ही नहीं नियम
यहां चौकाने वाली बात यह है कि अधिकांश ढाबा, ठेली संचालकों को भी यह पता नहीं होता कि एक बार खाद्य तेल इस्तेमाल हो गया तो वह फिर खाने योग्य नहीं रहता है। कुछ संचालक को मुनाफा कमाने के लिए बार-बार पके हुए तेल को इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कुछ अनजाने में यह गलती कर बैठते हैं। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ के लिए सिर्फ यह ढाबा या होटल संचालक ही जिम्मेदार नहीं हैं। बल्कि प्रशासन व खाद्य सुरक्षा विभाग भी उतना ही जिम्मेदार है।
खाद्य सुरक्षा विभाग भी नहीं आता नजर
बात अगर खाद्य सुरक्षा विभाग की करें तो कहने को इस विभाग में अधिकारियों की लंबी-चौड़ी फौज है, लेकिन धरातल पर कार्य करते हुए इन अधिकारियों को कम ही देखा जाता है। यह अधिकारी आमतौर पर सिर्फ तभी जगते हैं, जब कोई त्योहार आता है या कई लोग बीमार पड़ने लगते हैं। ऐसे में खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ ही पूरे सिस्टम पर सवाल उठने लाजमी हैं।
क्या कहते हैं मुख्य चिकित्सा अधिकारी
मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रवीण कुमार का कहना है कि जब तक खाद्य सुरक्षा विभाग स्वास्थ्य विभाग के अधीन आता था, तब तक वह अधिकारियों को लगातार क्षेत्र में निरीक्षण के निर्देश देते थे। लेकिन, अब यह विभाग अलग हो गया है। उन्होंने कहा कि खाद्य तेल को एक बार गर्म करने के बाद उसके सभी पोष्टिक तत्व खत्म हो जाते हैं। दो से तीन बार तेल गर्म करके इस्तेमाल किया जा रहा है तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
क्या कहती हैं खाद्य निरीक्षक
कोटद्वार की प्रभारी खाद्य निरीक्षक रचना लाल का कहना है कि यह सही है कि एक बार तेल इस्तेमाल होने के बाद उसे नहीं फैंका गया तो वह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारण हो जाता है। इस तेल के इस्तेमाल से कॉलेस्ट्रोल लेवल बहुत तेजी से बढ़ता है। साथ ही पेट से संबंधित अन्य बीमारियां भी बढ़ जाती हैं। निरीक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह पौड़ी में तैनात हैं और कोटद्वार का उन पर अतिरिक्त प्रभार है। ऐसे में वह यहां ज्यादा समय नहीं दे पाती हैं। हालांकि, एक-दो दिन में वह कोटद्वार आएंगी और होटल, ढाबों समेत ठेलियों का निरीक्षण करेंगी।