आशा वर्करों ने लिया तीन दिन की हड़ताल का निर्णय
देहरादून। राज्य में दो दिन तक डेंगू लार्वा की पहचान और उसे नष्ट करने का अभियान नहीं चलेगा। आशा वर्कर ने अपनी विभिन्न मांगों पर कार्रवाई न होने पर तीन दिन की हड़ताल का निर्णय लिया है जिस वजह से यह स्थिति पैदा हो गई है। राज्य में हर साल मानसून सीजन में डेंगू मच्छर के पनपने से डेंगू एक विकट समस्या के रूप में उभरती है। इस बीमारी से बचने के लिए सरकार ने राज्य भर में आशा वर्कर के जरिए घर घर सर्वे करने का निर्णय लिया था जिसके तहत आशाएं घर घर जाकर यह जांच करती हैं कि घर के अंदर कहीं पानी जमा होने की वजह से डेंगू का लार्वा तो नहीं बन रहा। लेकिन पिछले लम्बे समय से मांगों के पूरा न होने के बाद अब आशाओं ने तीन दिन तक हड़ताल का निर्णय लिया है। राज्य में आशा वर्कर एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दुबे ने बताया कि आशा वर्कर सीटू के आह्वान पर तीन दिन तक हड़ताल पर रहेंगी। जिस वजह से डेंगू लार्वा की पहचान का घर घर सर्वे नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार लगातार उनके साथ भेदभाव कर रही है। केंद्र से मिले छह हजार में से तीन हजार रुपये नहीं दिए गए हैं। जबकि अन्य मांगों पर भी कार्रवाई नहीं की जा रही। इसलिए अगले तीन दिनों तक आशाएं राज्य में सर्वे का काम नहीं करेगी।
कोरोना सर्वे से पहले ही हटाया जा चुका
राज्य सरकार आशा वर्कर को कोरोना सर्वे के काम से पहले ही हटा चुकी है। यह काम अब पीआरडी के जवानों से कराया जा रहा है। आशा वर्कर एसोसिएशन की अध्यक्ष आशा दुबे ने बताया कि आशाओं ने कोरोना सर्वे के लिए सरकार से 10 हजार रुपये की मांग की थी। यह राशि न देनी पड़े इसके लिए सरकार ने आशाओं को सर्वे के काम से हटाकर यह काम पीआरडी को दे दिया था।
उन्होंने बताया कि डेंगू सर्वे के लिए भी आशाओं को अलग से पैसे नहीं दिए जा रहे थे। लेकिन विरोध के बाद अब नगर निगम ने पूर्व की भांति प्रतिदिन 275 रुपये देने की सहमति दे दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए आशाओं द्वारा किए गए सर्वे का पूरा पैसा नहीं दिया है।