बेस अस्पताल पर लगाया भेदभाव का आरोप
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। अधिवक्ता अरविन्द वर्मा ने राजकीय बेस अस्पताल प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में ऊंची पहुंच वालों के कोरोना टेस्ट कराये जा रहे है, जबकि आम लोगों की कोरोना जांच के लिए संस्तुति नहीं दी जा रही है। उन्होंने अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक के स्थानान्तरण करने व कोरोना जांच के लिए सही नीति राज्य सरकार से बनाने की मांग की। अधिवक्ता ने जल्द ही मांग पर कार्रवाई न होने पर बेस अस्पताल के बाहर आंदोलन की चेतावनी दी है।
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अधिवक्ता अरविन्द वर्मा ने बताया कि विगत 21 सितम्बर को काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रवत ने तहसील परिसर में जो अधिवक्ता चैम्बर का उद्घाटन किया गया था वह चैम्बर उनका भी है। मंत्री के सम्पर्क में आई अधिवक्ता का कोरोना टेस्ट किया गया और वह पॉजिटिव आ गई। उन्होंने कहा कि उक्त अधिवक्ता के सम्पर्क में वह आये है। जिस कारण वह पिछले दो दिन से बेस अस्पताल में कारोना जांच कराने गये, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने कोरोना जांच कराने से इंकार कर दिया। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि प्राथमिकता के आधार पर हॉस्पीटल में कोरोना टेस्ट कराये जा रहे है। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें कौड़िया प्वाइंट पर कोरोना टेस्ट कराने को कहा। अधिवक्ता ने कहा कि कौड़िया में टेस्ट कराने पर रिपोर्ट तीन-चार दिन में आती है, ऐसे में अगर टेस्ट कराने वाला पॉजिटिव होगा तो संक्रमण के फैलने का अधिक खतरा रहेगा। जिस पर अस्पताल प्रशासन ने कहा कि कौड़िया में टेस्ट कराने वाले व्यक्ति को रिपोर्ट आने तक होम क्वारंटीन रहना पड़ेगा। ऐसे में गरीब एवं मजदूर कोरोना वायरस से संक्रमित हो ना हो, लेकिन रोजमर्रा की दिहाड़ी व मजदूरी न मिल पाने के कारण वह व उसका परिवार भूखमरी से संक्रमित जरूर हो जायेगा।