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15 अगस्त से पहले फिर कर्नाटक सीएम बदलेगी भाजपा? अमित शाह के दौरे के बाद अटकलें तेज

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बेंगलुरु, एजेंसी। बिहार की सत्ता से बाहर हुई भारतीय जनता पार्टी अब कर्नाटक पर फोकस कर सकती है। कर्नाटक भाजपा एक बार फिर से अपने मुख्यमंत्री को बदल सकती है। पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया था। इसके बाद से कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद में एक और बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। दक्षिण कन्नड़ जिले में एक युवा नेता की हत्या के बाद से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पार्टी के भीतर ही गंभीर आलोचना के घेरे में आ गए हैं। 6 अगस्त को बोम्मई कोविड-19 से संक्रमित हुए थे। जिसके बाद उन्होंने नई दिल्ली का अपना दौरा भी रद्द कर दिया।
बोम्मई कथित तौर पर 3 अगस्त को अमित शाह की यात्रा के दौरान अलग-थलग दिख रहे थे। मुख्यमंत्री 6 और 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठकों में भाग लेने के लिए दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन पजिटिव पाए जाने के बाद उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी। दिल्ली दौरे के रद्द होने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि सीएम शायद कुर्सी से हटा दिए जाएं।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएमओ के करीबी सरकारी सूत्रों ने कहा, ऐसी अटकलें हैं कि सीएम बोम्मई ने अपना दिल्ली दौरा इसलिए रद्द किया क्योंकि पार्टी नेतृत्व उनसे पद छोड़ने के लिए कह सकता था। लेकिन यह सच नहीं है। कोविड पजिटिव पाए जाने के बाद उन्होंने दौरा रद्द किया।ष्
दरअसल इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और मंत्री गोविंद करजोल अगले सीएम के लिए कतार में आगे खड़े हैं। हालांकि भाजपा के इन दोनों नेताओं ने इन रिपोर्टों का खंडन किया है। लेकिन इस तरह की अटकलों का सामने आना इस बात का सुझाव देता है कि भाजपा नेतृत्व में संभावित बदलाव को लेकर चर्चा कर रही है। इस बीच, मंत्री उमेश कट्टी ने कहा है कि मुख्यमंत्री पद में बदलाव की स्थिति में उनकी भी दावेदारी होगी।
येदियुरप्पा खेमे के करीबी माने जाने वाले भाजपा के एक पूर्व विधायक ने कहा है कि कर्नाटक के सीएम को 15 अगस्त से पहले भी बदला जा सकता है। भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश गौड़ा ने सोमवार को तुमकुरु में कहा, स्वतंत्रता दिवस से पहले भी सीएम बदला जा सकता है। पार्टी में कुछ बात हुई है।
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व कर्नाटक में अपनी सरकार को लेकर चिंतित है। नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या और खराब प्रशासन सहित हाल के हफ्तों में विभिन्न मुद्दों के कारण अपनी विश्वसनीयता खोने से परेशान है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व कथित तौर पर पार्टी में गुटबाजी से भी चिंतित है। नेतृत्व को लगता है कि गुटबाजी 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी की तैयारियों में बाधा डाल सकती है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा, बीजेपी पूर्व सीएम येदियुरप्पा के खुद को पार्टी से दूर रखने और संभावित नतीजों से चिंतित है और इन मुद्दों को भी संबोधित करना चाहती है।ष्
बताया जाता है कि अपनी कर्नाटक यात्रा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई तथा राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ हाल के घटनाक्रम एवं पार्टी के संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की। पार्टी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। यह भी बताया जाता है कि शाह ने प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के साथ भी विचार-विमर्श किया। वह भारत की आजादी के 75 वें साल पर भारतीय उद्योग परिसंघ के आज के ‘संकल्प से सिद्घि’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बुधवार रात को यहां पहुंचे थे।
सूत्रों के अनुसार शाह ने भाजपा कार्यकर्ता प्रवीण नेट्टार की हत्या समेत हाल की सांप्रदायिक हत्याओं पर चर्चा की। दक्षिण कन्नड़ जिले में नेट्टार की हत्या कर दी गई थी जिसके बाद पार्टी और युवा मोर्चा ने कई स्थानों पर व्यापक प्रदर्शन किया था और उनके सदस्यों ने इस्तीफा भी दिया था। हिंदुत्व विचारकों एवं संगठनों ने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए राज्य सरकार पर हिंदू कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए नहीं खड़ा होने का आरोप लगाया।
शाह ने राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र से दक्षिण कन्नड़ में हाल की हत्याओं एवं उनसे संबंधित घटनाओं की जानकारियां प्राप्त कीं। सूत्रों ने कहा कि ऐसा बताया जाता है कि इस महीने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतील के खत्म होने जा रहे कार्यकाल के बीच शाह ने कुछ संगठनात्मक बदलाव के बारे में भी अनौपचारिक बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक बोम्मई मंत्रिमंडल में बहुप्रतीक्षित विस्तार या फेरबदल पर चर्चा के संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है। कतील ने अगस्त, 2019 में येदियुरप्पा से प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली थी।
शाह की येदियुरप्पा से भेंट इस मायने में अहम है कि उन्होंने (शाह) इस बयान के साथ चुनावी राजनीति में उनकी पारी के समापन का संकेत दिया था कि यदि पार्टी 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उनके निर्वाचन क्षेत्र शिकारीपुरा से उनके बेटे बी वाई विजयेंद्र को उतारती है तो वह यह सीट खाली कर देंगे।
पार्टी में कई नेता महसूस करते हैं कि नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता है कि येदियुरप्पा हाशिये पर धकेले जाने का अहसास न करें। पार्टी को डर है कि यदि येदियुरप्पा निष्क्रिय होने का फैसला करते है तो उसका चुनाव पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कर्नाटक में अगले साल मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।

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