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र्केसर पर शोध के लिए एम्स ऋषिकेश को अमेरिका ने दिया फंड

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जयन्त प्रतिनिधि
ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश को अमेरिकन सोसायटी आफ हेमेटोलजी से ब्लड र्केसर पर अनुसंधान के लिए अनुदान मिला है, जिस पर संस्थान के हेमेटोलजी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सक रिसर्च का कार्य जल्द शुरू करेंगे। एम्स ऋषिकेश भारत देश की ऐसी पहली संस्था है जिसे यह अनुदान ग्रांट मिली है, रक्त र्केसर पर अनुसंधान को बढ़ावा देने वाली अमेरिकन सोसायटी की ओर से अब तक देश के किसी भी मेडिकल संस्थान को यह ग्रांट नहीं दी है। गौरतलब है कि भारत में दुनिया के मुकाबले रक्त र्केसर के रोगियों की मृत्यु दर अधिक है। जिसका सबसे मुख्य वजह र्केसर के शरीर में दोबारा लौटना भी है, साथ ही जानकार इसकी एक वजह देश में रक्त र्केसर के प्रति लोगों में जनजागरुकता का अभाव को भी मानते हैं। ऐसे कई कारण हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी व्यक्ति के पहली बार र्केसर ग्रसित होने पर उसे खत्म करने के लिए जो दवा अथवा कीमोथेरेपी दी जाती है, वह उसी व्यक्ति में र्केसर के दोबारा लौटने की स्थिति में अपेक्षात प्रतिरोधक नहीं होती, जिससे व्यक्ति की मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती है उनका मानना है कि र्केसर के दूसरी बार व्यक्ति में आने पर र्केसर सेल में कई तरह के बदलाव आते हैं, मसलन जीन म्यूटेशन, चेंज इन द माइक्रो इन्वायरमेंट आदि। लिहाजा ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को पूर्व में दी गई दवा अथवा उपचार काम नहीं कर पाता है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान को इस अंतर्राष्ट्रीय अमेरिकन सोसायटी अफ हेमेटोलजी द्वारा दिए गए अनुदान से रक्त र्केसर रिसर्च में नए विषयों पर अनुसंधान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विषय में रिसर्च के दौरान एम्स के अनुसंधान कर्ताओं का फोकस कीमो रिस्टेन्सेंस कोशिकाओं द्वारा प्राप्त अंतर आणविक परिवर्तनों को समझने पर रहेगा। इस अनुसंधान के लिए जिनोमिक्स, प्रोटियोमिक्स और क्रिस्पर जैसी तकनीकियों का प्रयोग किया जाएगा। बताया कि यह अध्ययन कीमोथैरेपी प्रतिरोधी रोगियों के लिए कुछ नए चिकित्सीय पद्घतियों के आविष्कार में मदद करेगा। बताया गया कि एम्स संस्थान में इस परियोजना का नेतृत्व मेडिकल ओंकोलजी एंड हेमेटोलजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा़ नीरज जैन करेंगे। जो कि डीबीटी रामलिंगस्वामी फैलोशिप प्राप्त हैं। गौरतलब है कि डा़ नीरज ने गतवर्ष एम्साषिकेश में बतौर असिस्टेंड प्रोफेसर ज्वाइन करने से पूर्व टेक्सास विश्वविद्यालय एमडी एंडरसन र्केसर सेंटर से रक्त र्केसर में अनुसंधान में विशेषज्ञता हासिल की है। एम्स में रक्त र्केसर अनुसंधान परियोजना पर मेडिकल ओंकोलजी एंड हेमेटोलजी विभाग के प्रमुख डा़ उत्तम कुमार नाथ व ड्यूक र्केसर सैंटर, अमेरिका की देखदेख में कार्य किया जाएगा। विभाग प्रमुख डा़ नाथ ने बताया कि यह अनुदान भारत में पहली बार एम्स संस्थान के रक्त र्केसर अनुसंधान विशेषज्ञ डा़ नीरज जैन को प्राप्त हुआ है। जिसके लिए उन्होंने सोसायटी से रक्त र्केसर पर अनुसंधान के लिए आवेदन किया था। बताया गया है कि इस रिसर्च परियोजना को ढाई वर्ष में पूर्ण किया जाएगा,जिसके लिए अमेरिकन सोसायटी की ओर से डेढ़ लाख डलर (1़10 करोड़) की स्वीति प्रदान की गई है। संस्थान की डीन रिसर्च प्रो़ वर्तिका सक्सैना ने जानकारी दी कि संस्थान उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा अनुसंधान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। जिसके लिए एम्स में विभिन्न विस्तृत अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है।

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