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सीबीएसई का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, कहा- कक्षा 12वीं की मूल्यांकन नीति की समीक्षा न करें

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नई दिल्ली, एजेंसी।केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सुप्रीम कोर्ट से 12वीं कक्षा के लिए मूल्यांकन नीति की समीक्षा नहीं करने का आग्रह किया है, क्योंकि अब मूल्यांकन नीति में बदलाव से 12वीं के सभी छात्रों के परिणाम संशोधित होंगे। सीबीएसई ने मूल्यांकन नीति से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अपनी ओर से पेश जवाबी हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने मूल्यांकन नीति को गलत तरीके से पढ़ा है।
इसके अलावा, सीबीएसई ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों ने कक्षा 12 के परिणामों के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है और अब मूल्यांकन नीति की समीक्षा करने से केवल भ्रम पैदा होगा। शीर्ष अदालत इस मामले को अब एक सप्ताह के बाद सुनेगी और तब तक याचिकाकर्ताओं को सीबीएसई के हलफनामे के आधार पर अपना जवाब भी दाखिल करना होगा।
अधिवक्ता रवि प्रकाश के माध्यम से उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के दो दर्जन से अधिक छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं में दावा किया गया है कि इस साल शीर्ष अदालत के 17 जून के आदेश के अनुपालन में बोर्ड अगस्त में जारी एक परिपत्र में निर्धारित विवाद समाधान तंत्र की प्रक्रिया को लागू करने में विफल रहा है।
अपने स्कूलों के पिछले खराब प्रदर्शन के कारण अपने स्कोर से व्यथित छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं में छात्रों ने शिकायत की है कि उनके स्कूल अदालत द्वारा अनुमोदित 30रू30रू40 फर्मूले के अनुसार अपने परिणामों का आकलन करने में विफल रहे हैं और सीबीएसई ने उनकी शिकायत का पर्याप्त समाधान नहीं किया है। याचिकाओं में मांग की गई है कि मूल्यांकन नीति के तहत अंतिम अंक प्रदान करते समय स्कूल के पिछले खराब प्रदर्शन को नहीं गिना जाना चाहिए।
वहीं, इसके जवाब में सीबीएसई ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से मूल्यांकन मानदंडों पर दोबारा गौर नहीं करने का आग्रह करते हुए यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत चार्ट मूल्यांकन नीति के गलत पढ़ने पर आधारित था, क्योंकि यह छात्रों के वास्तविक प्रदर्शन पर विचार करता था, न कि स्कूल के पिछले प्रदर्शन पर। सीबीएसई ने कहा कि सुधार परीक्षा देने का विकल्प उन छात्रों के लिए उपलब्ध था, जो मूल्यांकन नीति से असंतुष्ट थे, लेकिन याचिका दायर करने वाले इन छात्रों ने वह विकल्प नहीं लिया, इसलिए वे अब यह दावा नहीं कर सकते कि उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया था।

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