उत्तराखंड

कालसी और चकराता ब्लॉक के करीब 200 गांवों, खेड़ों, मजरों में बूढ़ी दीपावली का जश्न शुरू

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विकासनगर। जौनसार के कालसी और चकराता ब्लॉक के करीब 200 गांवों, खेड़ों, मजरों में बूढ़ी दीपावली का जश्न शुरू हो गया है। शनिवार को खत देवघार और खत शैली में छोटी दीपावली मनाई गई। सुबह मंदिरों में देव दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण उमड़े। इसके बाद ग्रामीणों ने होलियात के साथ पर्व का जश्न मनाया। होलियात के बाद बाजगियों ने कान पर हरियाड़ी लगाई। हर गांव में स्याणा ने भिरुड़ी में प्रसाद स्वरूप अखरोट फेंके। प्रसाद पाने को ग्रामीणों में होड़ मची रही। पंचायती आंगनों में महिलाओं और पुरुषों ने हारुल, झेंता और रासो नृत्यों की प्रस्तुति देकर अनूठी लोक संस्कृति से सबका परिचय कराया। आज से विशायल, बाना, शिलगांव, अठगांव खतों समेत जौनसार के 200 गांवों में पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार होंगे। चकराता, कालसी ब्लॉक के गांवों में पौराणिक बूढ़ी दीपावली की अलग ही रंगत रहती है। मंगलवार से शुरू हुए पांच दिवसीय बूढ़ी दीपावली पर्व में पौराणिक परंपराओं का पूरा ख्याल रखा गया। ग्रामीणों ने देव दर्शन कर पर्व की शुरूआत की। ग्रामीण पंचायती आंगन में सामूहिक रूप से नृत्यों से सबको लुभाते रहे। नृत्य के दौरान सितलू मोडा की हारुल के बाद कैलेऊ मैशेऊ की हारुल गायी गई। सभी गांवों में सुबह चार बजे ग्रामीण हाथों में भीमल की मशालें लेकर नाचते-गाते हुए होलियात लेकर बाहर निकले। यहां होलियात जलाकर पर्व का जश्न मनाया गया।
हर गांव में ढोल दमाऊ, रणसिंघे के साथ पंचायती आंगनों में लोक संस्कृति का दौर चला। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, वैसे-वैसे लोगों पर लोक संस्कृति का रंग चढ़ता रहा। पुरुषों ने पारंपरिक वेशभूषा में जूड़ा नृत्य से सबको लुभाया। वहीं महिलाओं ने लोक नृत्यों से समा बांधा।

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