क्षेत्रीय बोलियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। साहित्य संगम संस्थान दिल्ली के बोली विकास मंच पर क्षेत्रीय बोलियों के प्रसार हेतु ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि हमें क्षेत्रीय बोलियों पर भी ध्यान देना होगा। बोलियों के प्रति उदासीनता के चलते, आने वाले वर्षों मे कई बोलियां विलुप्ति की कगार पर पहुंच जायेगी।
गोष्ठी में सम्मलित साहित्यकारों ने अलग-अलग बोलियों में काव्यपाठ किया। किरण प्रभा ने बुलन्दशहर से अवधि बोली, निशी भदोरिया ने ग्वालियर से वज्र भाषा, सीताराम राय ने टीकमगढ़ से बुंदेली, जयहिन्द सिंह ने आजमगढ़ से भोजपुरी में काव्यपाठ किया। उत्तराखण्ड से गढ़वाली बोली में श्रीकान्त दुदपुड़ी ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। राजकीय इंटर कॉलेज गडिगांव पाबौ के अध्यापक श्रीकान्त दुदपुड़ी पहले भी कई साहित्यिक पुरस्कारों से कविता के क्षेत्र में नवाजे जा चुके है। जिसमें साहित्य रत्न, कलवीर सम्मान प्रमुख है। गोष्ठी का संचालन विनेद वर्मा दुर्गेश ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजवीर सिंह मंत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य संगम संस्थान, विशिष्ट अतिथि संत कवि बाबा कल्पनेश, जवलपुर के पूर्व न्यायधीश डॉ. मोना भट्ट, कार्यक्रम संयोजक नवीन कुमार भट्ट आदि उपस्थित रहे।