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सेना में चल रहा अंतरिक्ष और साइबर युद्ध क्षमताएं बढ़ाने पर मंथन, विश्वभर में इन क्षेत्रों में काफी खतरे बढ़े

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नई दिल्ली, एजेंसी: तीन थिएटर कमानों के गठन की दिशा में आगे बढ़ने के साथ ही सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) अपनी साइबर व अंतरिक्ष युद्ध क्षमताओं का और विस्तार एवं अपग्रेडेशन करने पर मंथन कर रहा है।साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में खतरों से निपटने और इन क्षेत्रों में भारत की आक्रामक क्षमता निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच वर्ष पहले डिफेंस साइबर एजेंसी और डिफेंस स्पेस एजेंसी के गठन को मंजूरी प्रदान की थी। इन एजेंसियों का नेतृत्व सेना के मेजर जनरल रैंक के अधिकारी करते हैं।
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि युद्ध में साइबर क्षेत्र के बढ़ते इस्तेमाल के कारण डीएमए साइबर एजेंसी का और विस्तार करने एवं चुनौतियों से निपटने के लिए और मजबूती हासिल करने की संभावना पर विचार कर रहा है। यूक्रेन युद्ध में साइबर क्षेत्र का काफी इस्तेमाल देखा गया है और हमारा अपना अनुभव भी ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि इसी तरह हाल के वर्षों में दुश्मन देशों ने अंतरिक्ष में कई लांच और अन्य तैनातियां की हैं। हमें भी अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी क्षमताओं को मजबूत करने की जरूरत है ताकि थिएटर कमानों को खतरों का आकलन करने और उनसे निपटने में मदद मिल सके।
सूत्रों ने बताया कि डिफेंस साइबर एवं स्पेस एजेंसियों के साथ-साथ गठित असैन्य एजेंसियों ने भी पिछले कुछ वर्षों में अपनी क्षमताओं में काफी प्रगति की है। लेकिन इन क्षेत्रों में बढ़ती वैश्विक गतिविधियों और तीव्र शस्त्रीकरण के कारण दोनों एजेंसियों की क्षमता बढ़ाने और अपग्रेड करने की जरूरत है। सेनाएं इन एजेंसियों में स्थायी एवं दीर्घकालिक साइबर एवं अंतरिक्ष विशेषज्ञों को रखने पर विचार कर रही हैं ताकि लंबे समय तक उन्हें उनकी विशेषज्ञता का लाभ मिल सके।
इन एजेंसियों के आकार में उल्लेखनीय वृद्धि की जरूरत के मद्देनजर इन्हें लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के तहत भी लाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के तहत काम करने वाले डीएमए को सरकार ने थिएटर कमानों के गठन का काम सौंपा है। इसके लिए विचार-विमर्श जारी है और इसके ढांचे को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है।
शिकायत के अनुसार 750 बक्सों से भरा ट्रक 27 जुलाई को कोलार में स्थानीय मंडी से निकला था। ट्रक को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से ट्रैक किया जा रहा था कोलार से निकलने के बाद जाहिर तौर पर लगभग 1800 किमी की दूरी तय कर चुका था। इसे स्थानीय सब्जी बाजार में आपूर्ति के लिए जयपुर में शनिवार रात तक अपने गंतव्य तक पहुंचना था।

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