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कोटद्वार प्रशासन को सरकारी नीति की नहीं खनन कारियों के काम की है चिंता, जुलाई में भी खनन कराने की मांग रहे है अनुमति

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार में प्रशासन को सरकार की बरसात के सीजन 1 जुलाई से 30 सितम्बर तक खनन पर प्रतिबंध की नीति पर अमल करने की बजाय रिवर टे्रनिंग के नाम पर आखिरी महिने में दिये गये खनन के पट्टों को 1 जुलाई के बाद भी खनन की अनुमति दिये जाने की चिंता है। जिसके लिए बकायदा कोटद्वार प्रशासन द्वारा जिलाधिकारी से जुलाई में खनन कराने की अनुमति मांगी गर्ई है। हालांकि अभी तक इन खनन के पट्टों पर प्रतिबंधित समय 1 जुलाई के बाद जिलाधिकारी ने खनन करने की अनुमति नहीं दी है।
ज्ञातव्य हो कि मई अंतिम सप्ताह और जून प्रथम सप्ताह में कोटद्वार स्थित सुखरौ नदी, ग्वालगढ़ एवं सिगड्डी स्रोत में खनन के पट्टों का आवंटन किया गया था। जिसमें जून के महिने में खनन कार्य होने के बाद सरकार की नीति के तहत 1 जुलाई से बंद कर दिया गया है। बावजूद इसके कोटद्वार प्रशासन द्वारा इन पट्टा धारकों की मांग पर आवंटित खनन पूरा न होने के कारण और समय की मांग की गई है। इस तरह की कार्यवाही के बारे में चर्चा है कि यह एक सुनियोजित मिली भगत है। इसके तहत पट्टों का आवंटन जान बूझकर बरसात के प्रतिबंधित समय 1 जुलाई से 30 सितम्बर से ठीक 25 दिन पूर्व पट्टों का आवंटन किया गया। ताकि नदियों में बरसात के समय नया उपखनिज आरबीएम आ जाये और उससे पट्टा धारकों का मुनाफा बढ़ जाय। यदि ऐसा नहीं है तो उत्तराखण्ड के अंतर्गत एक मात्र जिला पौड़ी है जहां मई-जून में खनन के पट्टे आवंटित किये गये, बाकी सभी जिलों में अप्रैल तक रिवर टे्रनिंग के नाम पर होने वाले खनन का काम पूरा हो चुका है। आखिर पौड़ी गढ़वाल में ही ऐसी कौन सी विषम स्थिति पैदा हो गई थी यहां पर उत्तराखण्ड शासन द्वारा जनवरी माह 2020 में रिवर टे्रनिंग के तहत होने वाले खनन के पट्टों का आंवटन किये जाने का आदेश दिया गया था। इसके बाद जिलाधिकारी द्वारा फरवरी एवं अप्रैल में इन पट्टों का नीलाम करने का आदेश दिया गया, इसके बाद कोटद्वार प्रशासन द्वारा मई और जून में इन पट्टों के नीलामी की कार्यवाही की गई। जिससे प्रशासन की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़े होते है।
यदि ऐसा नहीं है तो देहरादून सहित प्रदेश के अन्य जिलों में 1 जुलाई से 30 सितम्बर तक नदियों में उपखनिज का चुगान पूर्णतया बंद करने के आदेश दिये है। संभवत: यह आदेश पौड़ी गढ़वाल में भी लागू हुए होगें, फिर भी रिवर ट्रेनिंग के नाम पर आवंटित पट्टों के खनन को प्रतिबंधि समय में भी जारी रखने की अनुमति मांगी जा रही है।

सवाल नंबर 1
पट्टों की नीलामी में विलंब क्यों
शासन द्वारा जब जनवरी 2020 को सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया कि उत्तराखण्ड रिवर टे्रनिंग नीति 2020 के बिंदु 3 में उल्लेखित ऐसे क्षेत्र जहां नदी/जलाशय/नहर के द्वारा सिल्ट/उपखनिज, आरबीएम अत्यधिक मात्रा में जमा हो गया हो और जिसके जमा होने से भू-कटाव एवं जानमाल का खतरा होने की संभावना है को चिन्हित कर स्थानीय तहसील स्तर से खुली नीलामी की जाय। जिस पर पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी ने नवंबर 2020 एवं अप्रैल 2021 को कोटद्वार में उपरोक्त नदियों में जमा उपखनिज को हटाने के लिए अनुमति दे दी थी तो इनका नीलाम छ: माह बाद मई अंतिम और जून प्रथम सप्ताह में क्यों किया गया।

सवाल नंबर 2
पट्टा धारकों को समय पर आरबीएम उठाने की शर्त क्यों नहीं
कोटद्वार की सुखरो, ग्वालगढ़ एवं सिगड्डी स्रोत पर जमा उपखनिज को उठाने के लिए जब रिवर टे्रनिंग के नाम पर पट्टे नीलाम किये गये तो उस समय पूरा आरबीएम 30 जून तक उठाने की शर्त पट्टे में क्यों नहीं रखी गई। क्या प्रशासन इस बात के लिए मजबूर है कि अगर पट्टा धारक तय सीमा पर आवंटित उपखनिज को नहीं उठाता है तो उसके लिए प्रशासन उसे और समय देता रहेगा। यह परिपाटी पिछले वर्षों में भी कोटद्वार में अपनाई गई। जिसमें खनन कारियों को प्रतिबंधित समय जुलाई में भी खनन की अनुमति देकर खनन कराया गया। जबकि नियम यह है कि बरसात के समय में किसी भी हालत में नदियों में खनन नहीं किया जा सकता है।

राहत
वर्तमान जिलाधिकारी नहीं चलने देगें पुरानी परिपाटी
जनपद पौड़ी गढ़वाल में वर्तमान जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदण्डे अपने आप में स्वच्छ एवं निष्पक्ष छवि के व्यक्ति बताये जाते है जो कोटद्वार में पिछले सालों से बरसात से ठीक पहले शुरू होने वाली रिवर टे्रनिंग के नाम पर जारी पट्टों पर खनन की अनुमति बरसाती सीजन 1 जुलाई के बाद दिये जाने की परिपाटी को संभवत: आगे नहीं बढ़ायेगें। इस बात का संकेत इससे मिलता है कि जुलाई में भी खनन को जारी रखने के लिए कोटद्वार प्रशासन द्वारा अनुमति दिये जाने के लिए जिलाधिकारी से अनुरोध किया है। जिसकी फाइल अभी खनन बंद होने के दो दिन बाद भी स्वीकृत नहीं हो पाई है।

क्या कहते है एसडीएम
कोटद्वार तहसील के एसडीएम योगेश मेहरा का कहना है कि 30 जून को चैनेलाइजेशन की अवधि समाप्त होने पर नदियों में चैनलाइेजेशन का काम बंद है। जिला प्रशासन की ओर से चैनेलाइजेशन के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी। कमेटी ने मौके की स्थिति से जिलाधिकारी को अवगत करा दिया है। चैनेलाइजेशन के संबंध में अभी कोई आदेश नहीं मिला है।

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