तलाक की अहम शर्त पर केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी, केंद्र से कहा- यूनिफार्म मैरिज कोर्ट पर करें विचार
नई दिल्ली, एजेंसी। केरल हाईकेर्ट ने माना है कि भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत 1 वर्ष की अलगाव की न्यूनतम अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने कहा है कि अगर पति-पत्नी में नहीं बनती और वो आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं, तो उन्हें एक साल तक अलग-अलग रहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए़
एक केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत अलगाव की न्यूनतम एक वर्ष की अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है़क कोर्ट ने इस केस में कपल के एक साल अलग-अलग रहने की शर्त को रद्द कर दिया़ इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया है।
यहां ये भी बता दें कि, राज्यसभा में शुक्रवार को भारी हंगामे के बीच बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने श्भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक, 2020श् पेश किया, जिसका विपक्षी सदस्यों ने जमकर विरोध किया। बिल को पेश करने के बाद मतदान हुआ, जिसके पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 23 वोट डाले गए। देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने के वादे को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बीजेपी ने ये प्रस्ताव रखा।