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कोरोना काल में आपदा को अवसर में बदलने की रणनीति को तैयार करने में जुटी मोदी सरकार

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नई दिल्ली, एजेंसी। आपदा को अवसर में बदलने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा कितना फलीभूत हो रहा है, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन सरकार के कुछ मंत्रालय इस नारे के मुताबिक अपनी रणनीति को तैयार करने में जुटे हैं। इसके तहत जिस तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना महामारी के विध्वंस से उबरने की क्षमता दिखाई है, उससे नीति निर्माताओं को भरोसा हुआ है कि लंबे समय तक दोहरे अंक की विकास दर (10 फीसद से ज्यादा) हासिल की जा सकती है। यह तरकीब न सिर्फ भारत को पांच ट्रिलियन डलर की अर्थव्यवस्था बनाने के मोदी सरकार के इरादे को अमली जामा पहनाएगी, बल्कि दो दशकों में भारत को गरीबी से मुक्ति दिलाने में भी अहम योगदान देगी।
आम बजट 2021-22 के प्रविधानों और देश की इकोनमी की स्थिति पर बुलाई गई एक उच्चस्तरीय बैठक में लंबे समय तक दोहरे अंक की विकास दर हासिल करने की ठोस रणनीति बनाने पर सहमति बनी है। यह सोच सरकार के नीति निर्धारक अधिकारियों के मन में अक्टूबर, 2020 के बाद से अभी तक भारतीय इकोनमी में दिखे बेहद उल्लेखनीय सुधारों के मद्देनजर बनी है।
खास तौर पर जिस तरह से यूरोप के कई विकसित देशों में और अन्य देशों में कोरोना महामारी का प्रकोप नए सिरे से आया है, उसे देखते हुए भारत के समक्ष नए अवसर पैदा होने की संभावना बन गई है। जनवरी और फरवरी, 2021 में पश्चिमी देशों में आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुई हैं और इनमें कम से कम अगले दो महीनों तक बहुत सुधार की संभावना नहीं बताई जा रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में माना जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन लगाने का काम तेज होने के बाद अप्रैल 2021 से इसकी स्थिति और मजबूत हो सकती है। जीएसटी संग्रह भी सरकार की उम्मीदों से ज्यादा बेहतर है। सनद रहे कि शुक्रवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी मासिक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वर्ष 2020-21 के दौरान आर्थिक विकास की स्थिति पूर्व के अनुमानों से बेहतर होगी।
नीति आयोग के सूत्रों का कहना है कि दोहरे अंक में आर्थिक विकास दर को ले जाना भारतीय नीति निर्धारकों का वर्ष 1991 में आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू करने के बाद से ही सपना रहा है। हालांकि अभी तक इसे हासिल नहीं किया जा सका है। पहली बार आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक विकास दर के 10 फीसद या इससे ज्यादा बनने की उम्मीद बन रही है। वैसे इसका ज्यादा श्रेय वर्ष 2020-21 में आर्थिक विकास दर में काफी गिरावट होने को जाएगा। इस वर्ष सरकार को अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की गिरावट होगी। लेकिन, सरकार की योजनाओं और कोरोना काल के बाद वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में बदलाव के मद्देनजर अगले वित्त वर्ष में हासिल दोहरे अंक की विकास दर को आगे भी बनाए रखा जा सकता है।
कोरोना काल के दौरान मोदी सरकार ने आर्थिक सुधार के तहत जो कदम उठाए हैं, वह भारतीय अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक 10 फीसद या इससे ज्यादा की विकास दर को बनाए रखने में सक्षम हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत की विकास दर अगले वर्ष के दौरान 11़5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।

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