उत्तराखंड

शैक्षणिक सत्र 2022-23 से नई शिक्षा नीति के तहत क्रेडिट आधारित नए पाठ्यक्रम होंगे शुरू

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– 10 फरवरी तक मांगे शिक्षक, छात्र तथा शिक्षाविदों से सुझाव
नैनीताल। उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों और उनसे संबद्घ कलेजों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से नई शिक्षा नीति के तहत क्रेडिट आधारित नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। सभी विश्वविद्यालयों में इसे एक साथ लागू किया जाएगा। इसके तहत कला, भाषा, विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन एवं कौशल विकास से संबंधित सभी विषयों के पाठ्यक्रम तैयार कर लिए गए हैं। ये सभी पाठ्यक्रम कुविवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं। 10 फरवरी तक शिक्षक, छात्र तथा शिक्षाविदों से सुझाव मांगे गए हैं। इसके बाद नए पाठ्यक्रम प्रभावी कर दिए जाएंगे।
राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को धरातल पर उतारने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रो। एनके जोशी की अध्यक्षता में पाठ्यक्रम निर्धारण एवं क्रियान्वयन समिति का गठन किया गया। इसमें राज्य के सभी विवि के कुलपति एवं उच्च शिक्षा सलाहकार सदस्य हैं। इसके तहत दून विवि देहरादून में बीते 11 व 12 अक्तूबर को दो दिवसीय कार्यशाला हुई थी।
इसमें सभी विवि को अलग-अलग संकायों से संबंधित विषयों के पाठ्यक्रमों को नई शिक्षा नीति के तहत निर्माण करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद सभी राज्य विश्वविद्यालयों की ओर से तैयार पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए कुविवि ने नेशनल एजुकेशन पलिसी 2020 करिकुलम डिजाइन फर स्टेट अफ उत्तराखंड विषय पर 6, 7 व 8 जनवरी को तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
पहले चरण में स्नातक पाठ्यक्रम तैयार
नई शिक्षा नीति के तहत अभी तक तैयार कमन मिनिमम सिलेबस स्नातक स्तर के लिए है। ये सेमेस्टर आधारित बनाए गए हैं। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के तहत सिलेबस बना है। एक साल में दो सेमेस्टर का सिलेबस सर्टिफिकेट कोर्स के लिए बनाया है। दो साल में चार सेमेस्टर डिप्लोमा और तीन साल में छह सेमेस्टर स्नातक की डिग्री के लिए तैयार किया है। परंपरागत पाठ्यक्रमों को रोजगारपरक बनाने की कोशिश की है।
प्रत्येक सेमेस्टर के लिए अलग क्रेडिट तय
कमन मिनिमम सिलेबस में हर सेमेस्टर में अलग-अलग क्रेडिट निर्धारित किया गया है। अगर कोई छात्र एक साल की स्नातक की पढ़ाई कर छोड़ देता है। आगे फिर वह अपनी पढ़ाई को पूरी करना चाहता है तो इसी क्रेडिट के आधार पर उसे अपने कोर्स को पूरा करने की सुविधा दी जाएगी। सिलेबस में हर सेमेस्टर में एक सप्ताह में कितने लेक्चर होंगे, इसे भी तय किया गया है।
कमन मिनिमम सिलेबस पूरे प्रदेश के लिए है, जिसे कुविवि ने अपनी वेबसाइट में अपलोड कर दिया है। पाठ्यक्रम निर्धारण एवं क्रियान्वयन समिति की ओर से सुझाव मांगे गए हैं। प्राप्त सुझावों के अनुरूप फरवरी में सिलेबस को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। 70 प्रतिशत सिलेबस एक जैसा रखना अनिवार्य है और अगर कोई विवि चाहे तो 30 प्रतिशत सिलेबस अपने संसाधनों, परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के आधार पर परिवर्तित कर सकता है।
-प्रो। एनके जोशी, चेयरमैन पाठ्यक्रम निर्धारण एवं क्रियान्वयन समिति उत्तराखंड एवं कुलपति कुविवि नैनीताल

 

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