जी20: गरीब देशों को कर्ज से राहत है भारत का एक बड़ा एजेंडा, कोरोना महामारी और युद्घ के बाद बढ़ा ऋण का बोझ
नई दिल्ली,एजेंसी। अपनी अगुआई में होने वाली जी20 की बैठकों में गरीब व विकासशील देशों यानी ग्लोबल साउथ के देशों की समस्याओं को सामने लाने के पीएम नरेन्द्र मोदी के वादे पर अमल की कोशिश को गति दी जा रही है।
खास तौर पर कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्घ के बाद कम विकसित देशों पर जिस तरह से कर्ज का बोझ बढ़ा है, भारत इस समस्या पर वैश्विक सहमति बनाने की कोशिश करने वाला है। इस क्रम में अगले दो हफ्तों के दौरान भारत की अगुवाई में तीन अलग अलग बैठकें होने जा रही है।
वैश्विक कर्ज की समस्या पर इस हफ्ते शुक्रवार (17 फरवरी) को एक बैठक होने वाली है जिसमें विश्व बैंक, आइएमएफ, चीन, सऊदी अरब समेत दूसरे कई देश शामिल होंगे। इसमें विश्व बैंक की तरफ से कर्ज से डूबे बेहद गरीब देशों को कर्ज चुकाने से राहत देने के एक प्रस्ताव पर खास तौर पर चर्चा होगी।
इस बैठक के अलावा अगले हफ्ते जी20 के तहत केंद्रीय बैंकों के गर्वनर की और वित्त मंत्रियों की बैठक में भी यह एक बड़ा एजेंडा रहेगा। सूत्रों का कहना है कि वैश्विक कर्ज की समस्या पर जो मुद्दे सामने आएंगे उसे भारत जी20 जैसे मंच पर लाएगा।
इस बारे में पिछले महीने पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुआई में बुलाई गई ग्लोबल साउथ देशों की वर्चुअल बैठक में भी विमर्श हुआ था। बैठक में कई देशों की तरफ से बढ़ते कर्ज के खतरनाक स्तर पर पहुंचने की बात कही गई थी। वित्त मंत्री सीतारमण ने इस बैठक में कहा था कि अगर वैश्विक कर्ज के बढ़ने को नजरअंदाज किया गया तो यह वैश्विक मंदी की स्थिति को और खराब कर सकता है। वित्त मंत्री यहीं बात 23-25 फरवरी को बेंगलुरू में जी20 के वित्त मंत्रियों की बैठक में रखने वाली हैं। वित्त मंत्रियों की बैठक से पहले 21-22 फरवरी को जी20 के केंद्रीय बैंकों के डिप्टी गर्वनरों की बैठक होने जा रही है।
वैश्विक कर्ज का विकासशील देशों पर पड़ने वाले असर को भारत की तरफ से खास तवज्जो देने को चीन पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। पिछले हफ्ते ही अमेरिका की वित्त सचिव जेनेट एलेन ने कहा है कि अगर गरीब देशों पर कर्ज का बोझ कम करना है तो चीन को जाम्बिया व दूसरे अफ्रीकी देशों को मदद के लिए जल्दी से आगे आने होगा। विश्व बैंक की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे गरीब 74 देशों पर कुल 35 अरब डलर का कर्ज है और इसका 37 फीसद (तकरीबन 11 अरब डलर) चीन का है।
कोरोना महामारी के बाद कर्ज की राशि तेजी से बढ़ी है। पिछले वर्ष की जी20 बैठक में भी गरीब देशों के कर्ज माफ करने के मुद्दे पर बात हुई थी लेकिन बताया जाता है कि चीन का रुख बहुत ही अस्पष्ट है। चीन की तरफ से कर्ज माफी पर स्थिति साफ किये बगैर इस मुद्दे पर बात आगे नहीं बढ़ सकती है। इस लिहाज से इस हफ्ते और अगले हफ्ते की बैठकों की अहमियत बढ़ गई है।