दुष्कर्म के आरोपी पर पीड़िता से राखी बंधवाने की अदालती शर्त के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, अटर्नी जनरल को नोटिस
नई दिल्ली, एजेंसी। ने आज नौ महिला वकीलों की तरफ से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले में अटर्नी जनरल के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामला एक महिला के साथ दुष्कर्म में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह शिकायतकर्ता से राखी बंधवाने का अनुरोध करेगा।
याचिकाकर्ता वकीलों की तरफ से संजय पारिख ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा इस तरह कि शर्त वाले निर्देश के मामले में वह सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि सभी हाईकोर्ट और निचली अदालत के लिए भी सुप्रीम कोर्ट से निर्देश चाहते हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने इस मामले में अटर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है, कोर्ट चाहता है कि अटर्नी जनरल इस मामले में अदालत का सहयोग करें। अटर्नी जनरल अफिस के जवाब के बाद ही मामले पर आगे की सुनवाई की जाएगी।
दरअसल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अगस्त महीने में यौन शोषण मामले में आरोपी को इस शर्त पर छोड़ दिया था कि वह पीड़िता के घर जाकर उससे राखी बंधवाएगा। इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं था। इससे पहले भी ट्रायल कोर्ट इस तरह की शर्तें रख चुके हैं। अब 9 महिला वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ता और कानून के जानकारों ने इस बात को संज्ञान लेते हुए हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, और कोर्ट से कहा है कि वह यह तय करे कि अदालतें जमानत के लिए इस तरह के निर्देश दे सकती हैं या नहीं। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने शर्त रखी थी कि वह 3 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन 11 बजे अपनी पत्नी को साथ लेकर पीड़ित के घर राखी और मिठाई लेकर जाएगा और पीड़िता से आग्रह करेगा कि वह उसे भाई की तरह राखी बांधे। इसी के साथ आरोपी पीड़िता की रक्षा का वचन देकर भाई के रूप में परंपरा अनुसार उसे 11 हजार रुपये देगा और पीड़िता के बेटे को भी 5 हजार रुपये कपड़े और मिठाई के लिए देगा। इतना ही नहीं, इस सबकी तस्वीरें रजिस्ट्री में जमा कराने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए थे।