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एक्सक्लूसिव: बेस हॉस्पिटल कोटद्वार का कोरोना मरीजों के साथ मजाक, बिना जांच के ही लग रहा है शवों का अंबार, वेटिंलेटर और ऑक्सीजन प्लांट पड़े है निष्क्रिय

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार।
कोविड-19 की महामारी की दूसरी लहर की सुनामी में कोटद्वार बेस हॉस्पिटल कोरोना मरीजों के लिए मजाक बनकर रह गया है। इस हास्पिटल में कोविड जांच कराकर पॉजिटिव आने वाले संक्रमितों की मौत का आकंड़ा जहां प्रतिदिन एक से अधिक है, वहीं बिना जांच वाले आपातकालीन मरीजों की मौत का आकंड़ा मई माह में प्रतिदिन 6 से अधिक हो गया है।
कोरोना की सुनामी में राजकीय बेस अस्पताल कोटद्वार की कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। इस बेस हास्पिटल में उपलब्ध 13 वेटिंलेटर जहां बिना सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट के अभाव में अभी तक निष्क्रिय पड़े हुए है वहीं चार दिन पूर्व जनता को समर्पित दो करोड़ की लागत से स्थापित ऑक्सीजन प्लांट की गुणवत्ता रिपोर्ट न आने के कारण उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पौड़ी गढ़वाल के पांच विकासखंडों एवं उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के आधे हिस्से के मरीजों के लिए इस हायर सेंटर में सुविधाओं का जो ढोल पीटा जा रहा है। वह धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा है। लिहाजा कोरोना मरीजों को बिना जांच के ही इमरजेंसी में भर्ती होकर दम तोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार में वर्तमान में कार्यरत प्रमुख अधीक्षक डॉ. तिवारी ने स्वीकार किया कि चार दिन पूर्व काबीना मंत्री व क्षेत्रीय विधायक डॉ. हरक सिंह रावत द्वारा लोकार्पित कोटद्वार बेस हास्पिटल का ऑक्सीजन प्लांट से अभी तक वार्डों में सप्लाई शुरू नहीं हो पाई है। इस बारे में उन्होंने बताया कि जब तक ऑक्सीजन प्लांट की गुणवत्ता रिपोर्ट का प्रमाण पत्र नहीं आ जाता तब तक उसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।

क्यों पड़े है वेटिंलेटर निष्क्रिय
सूत्रों के अनुसार कोटद्वार में सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट के चालू न होने के कारण कोटद्वार बेस हास्टिपल को शासन द्वारा उपलब्ध कराये गये 13 वेटिंलेटर निष्क्रिय पड़े हुए है। जिनको अभी तक उपयोग में नहीं लाया जा सका। जिला पौड़ी कोविड वार रूम की रिपोर्ट के अनुसार 13 मई तक भी इन वेटिंलेटरों को इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसी तरह बेस हास्टिपल कोटद्वार में स्थापित 6 आईसीयू बेड भी बिना सेंट्रल ऑक्सीजन के अभी तक निष्क्रिय है। ऐसे में इस महामारी के दौरान भी कोटद्वार बेस हास्पिटल आईसीयू और वेटिंलेटरों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।

बिना कोविड जांच के ही बढ़ा मरीजों की मौत का आकंड़ा
राजकीय बेस हास्पिटल कोटद्वार में बिना जांच किये हुए आपात मरीजों की मौत का आकंड़ा कोटद्वार के बेस हास्टिपल के इतिहास में सबसे अधिक बढ़ गया है। यहां पर मार्च माह तक आपात और सामान्य मरीजों की मौत का आकंड़ा दो दिन में 1 था वहीं कोरोना सुनामी आने के बाद अपै्रल माह में यह आकंड़ा एक दिन में 2 से अधिक हो गया, जबकि मई माह के 12 दिनों में यह आकंड़ा एक दिन में 6 से अधिक पहुंच गया है। जिससे साफ जाहिर है कि अप्रैल और मई माह में हुई इन अप्रत्याशित मौत के आकंड़ों ने कोरोना का प्रकोप रहा है। बेस हास्पिटल कोटद्वार में बिना कोविड जांच हुए गंभीर रोगियों की मौत की संख्या इस प्रकार है।
माह मौतें
फरवरी 2021 10
मार्च 2021 16
अप्रैल 2021 61
मई12 दिन में 76

गंभीर रोगियों की क्यों नहीं हो रही है जांच
बेस हास्पिटल में यह भी चर्चा है कि वार्डों में भर्ती अधिकांश मरीज कोरोना संक्रमित है। बताया गया कि पिछले 12 दिन के अंतर्गत गंभीर मरीजों की बड़ी तादात बेस हास्पिटल कोटद्वार के आपातकालीन वार्ड में पहुंच रही है। इन मरीजों का तत्काल न तो एंजीटन और नहीं रेपिड कोरोना टेस्ट हो रहा है। जिसके पीछे सूत्रों का आकंलन है कि बेस हास्पिटल कोटद्वार में पहुंचने वाले गंभीर रोगियों का यदि रेपिड या एंजीटन कोरोना टेस्ट होता है तो अधिकांश मरीज पॉजिटिव आ सकते है। जिससे कोरोना वार्ड में बेस हास्पिटल द्वारा की गई व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जायेगी। जिसके कारण बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की किल्लत आ जायेगी। जो कि प्रशासन के लिए चुनौती बन सकता है। लेकिन इस स्थिति में जानकारों का कहना है कि बेस चिकित्सालय में पहुंचने वाले गंभीर रोगियों का कोरोना टेस्ट न होने के कारण उन्हें सीधे सामान्य वार्डों में भर्ती करने पर कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा खतरा बढ़ रहा है।

क्या होता है आरटी-पीसीआर कोविड टेस्ट

आरटी-पीसीआर टेस्ट का पूरा नाम ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमियर्स चेन रिएक्शन’ है। इसकी जांच प्रयोगशाला में की जाती है। इस टेस्ट के जरिए व्यक्ति के शरीर में वायरस का पता लगाया जाता है। इसमें वायरस के आरएनए की जांच की जाती है। ज्यादातर सैंपल नाक और गले से म्यूकोजा के अंदर वाली परत से स्वैब लिया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल पीसीआर टेस्ट को ज्यादा विश्वसनीय मानते हैं। लेकिन अन्य टेस्ट की तरह यह टेस्ट भी पूरी तरह से पूर्ण नहीं है। इसकी जांच की कीमत एंटीजन टेस्ट से महंगी होती है।

क्या होता है रैपिड एंटीजन टेस्ट
बाहर से शरीर में दाखिल होने वाले वैक्टीरिया एंटीजन होते हैं। रैपिड एंटीजन टेस्ट के नतीजे 15 से 30 मिनट के भीतर आ जाते हैं। इस जांच में व्यक्ति की रिपोर्ट यदि निगेटिव आती है तो उसे फाइनल नहीं माना जाता। इस टेस्ट की आरटीपीसीआर जांच होती है। एंटीजन टेस्ट में व्यक्ति की रिपोर्ट यदि पॉजिटिव आती है तो उसे संक्रमित मान लिया जाता है। एंटीजन टेस्टिंग व्यक्ति के पास जाकर की जाती है। इस टेस्ट में व्यक्ति की नाक के दोनों तरफ से फ्लूइड का सैंपल लिया जाता है। स्ट्रिप पर एक रेड लाइन आने पर रिपोर्ट निगेटिव मानी जाती है। स्ट्रिप पर यदि दो रेड लाइन आती है तो व्यक्ति को संक्रमित माना जाता है।

कैसे होता है रैपिड एंटीजन टेस्ट
इस टेस्ट के लिए नाक में एक पतली से नली से सैंपल लिया जाता है। नाक से लिए गए उस लिक्विड को टेस्ट किट में डाला जाता है। ये किट थोड़ी ही देर में बता देती है कि जिसका सैंपल डाला गया है वो कोरोना वायरस से संक्रमित है कि नहीं। ये किट उसी तरह होती है, जैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट होती है। सैंपल डालने के बाद अगर 2 रेड लाइन आती है तो इसका मतलब है कि कोरोना पॉजिटिव है। एक लाइन आती है तो वो कोरोना नेगेटिव है। जो भी व्यक्ति इस टेस्ट के माध्यम से पॉजिटिव पाया जाता है, उसका इलाज तुरंत शुरू हो जाता है। उस टेस्ट की पॉजिटिव रिपोर्ट को पुख्ता माना जाता है। लेकिन किसी का टेस्ट नेगेटिव आया है और उसमें कोरोना के लक्षण हैं तो फिर उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है।

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