कोटद्वार की उपेक्षा पर जताया रोष, समस्याओं को लेकर सीएम को भेजा पत्र
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : राज्य गठन के बाद भी गढ़वाल के द्वार कोटद्वार का बेहतर विकास नहीं होने पर कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति ने रोष व्यक्त किया है। कहा कि आज भी कोटद्वार की जनता मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है। विकास के नाम पर केवल जनता को गुमराह किया गया है। समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजते हुए जल्द समस्याओं के निराकरण की मांग उठाई।
कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नागेंद्र उनियाल के नेतृत्व में सदस्यों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में बताया कि कोटद्वार राज्य का प्रमुख व्यापारिक यातायात ट्रांसपोर्ट नगर के अलावा विश्व प्रसिद्ध श्री सिद्धबली धाम एवं भारत नामदेय चक्रवर्ती सम्राट की एतिहासिक भूमि है। बावजूद इसके राज्य निर्माण के बाद इस नगर की निरन्तर उपेक्षा के साथ पूर्व राज्यवर्ती उत्तर प्रदेश के समय उपलब्ध सुविधाओं को भी छीना जा रहा है। समिति ने राज्य निर्माण से पूर्व की भांति मोटर नगर की भूमि को कोटद्वार को लौटाने की मांग उठाई। कहा कि विवादित धनराशि को संबंधित अदालत में जमाकर मोटर नगर की भूमि को मुक्त कराये तथा इस प्रकरण की सीबीआई या न्यायिक जांच करवाएं। राज्य निर्माण से पूर्व की भांति कोटद्वार की सीवर ट्रीटमेंट व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सुखरौ पुल के समीप उत्तर प्रदेश से भूमि लीज पर लेने, लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग एवं कोटद्वार-रामनगर बस सेवा को बहाल करने, गाड़ीघाट में आबादी को ट्रेचिंग ग्राउंड के दंश से निजात दिलवाने व कोटद्वार से दिल्ली के लिए रेल गाड़ी भरत जन्म भूमि कण्वाश्रम एक्सप्रेस के नाम से संचालित करवाने की मांग उठाई। इस मौके पर नगर व्यापार मंडल के अध्यक्ष लाजपत राय भाटिया, नागरिक मंच कोटद्वार के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश नैथानी, जीएमओयू लि. के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल, गढ़वाल जीप टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष अमरदीप सिंह रावत, वरिष्ठ नागरिक संगठन के अध्यक्ष पीएल खंतवाल आदि मौजूद रहे।