सरकार आशाओं में फूट डालने का प्रयास कर रही है
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। आशा कार्यकत्रियों ने आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने सहित अन्य मांगों को लेकर 30वें दिन मंगलवार को तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि वह मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है, लेकिन सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की पत्नी ने खटीमा की आशाओं को मिठाई खिलाकर आंदोलन तोड़ने की कोशिश की। सरकार आशाओं में फूट डालने का प्रयास कर रही है।
मंगलवार को 30वें दिन भी आशा कार्यकत्रियोंं ने तहसील परिसर में धरना दिया। उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। पिछले कई दिनों से मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है, लेकिन सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक जीओ उनके हाथ में नहीं आयेगा तब तक कार्यबहिष्कार जारी रहेगा। अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी ने प्रदेश सरकार से आशा कार्यकत्रियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम 21 हजार रुपये का मानदेय देने, जब तक मानदेय और कर्मचारियों का दर्जा मिलने तक अन्य विभागों से योजनाओं में लगे कार्मिकों की तरह मानदेय देने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की सुविधा देने, कोविड कार्यों में लगी आशा कार्यकत्रियों को दस हजार रुपये मासिक भत्ता, 50 लाख रुपये का बीमा और दस लाख का स्वास्थ्य बीमा देने, कोविड ड्यूटी के दौरान मृत आशा कर्मियों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह राशि देने सहित 12 सूत्रीय मांग पूरी करने की मांग की। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष प्रभा चौधरी, उपाध्यक्ष मीरा नेगी, सचिव रंजना कोटनाला, मधु ममंगाई, सुमन रौथाण, धनेश्वरी, लक्ष्मी असवाल, ज्योति रावत, सुमन, मीना, हेमलता, नीलम कुकरेती, सुमित्रा भट्ट, कल्पना बिष्ट, कल्पना काला, लक्ष्मी जदली, कविता, मीनाक्षी, सरोज जदली, रेखा, रेणु, यशोदा, ममता आदि शामिल थे।