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ग्रीष्मकालीन नहीं स्थायी राजधानी गैरसैंण बने

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बागेश्वर। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण बनाए जाने के बजाए स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग मुखर होने लगी है। सात सूत्रीय मांग को लेकर
वरिष्ठ नागरिक जल कल्याण न्यास से जुड़े लोग जिलाधिकारी से मिले। अपनी मांगों का मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन उन्हें सौंपा। इसमें युवाओं को रोजगार से लेकर
पलायन तक की पीड़ा बयां की है। न्यास के अध्यक्ष रणजीत सिंह भंडारी के नेतृत्व में पदाधिकारी गुरुवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। यहां डीएम से मुलाकात
की और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन उन्हें सौंपा। पदाधिकारियों का कहना है कि पहाड़ों में भरी मात्रा में पिरुल होता है। इससे बिजली पैदा होती है। सरकार को
चाहिए कि वह बड़े उद्योग लगाकर रोजगार पैदा करे। इसके अलावा खड़िया की पैक्ट्रियां यहां स्थापित होनी चाहिए। इससे रोजगार मिलेगा। पहाड़ के जिलों में मंडी
स्थापित करने, लीसे के उद्योग लगाने, अल्ट्राट्रेक सीमेंट के साथ पूर्व में हुए एमओयू पर काम आगे बढ़ाने की मांग की। पहाड़ों में डाक व्यव्सथा पूरी तरह चरमरा गई
है। इसे पूर्व की भांति पटरी पर लाने पर बल दिया गया। न्यास ने राज्य की राजधानी गैरसैंण में बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब सरकार ग्रीष्मकालीन
राजधानी घोषित कर सकती है तो स्थायी राजधानी में भी गुरेज नहीं करना चाहिए। यह जनभावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। इस मौके पर सचिव बालादत्त तिवारी, दलीप
खेतवाल, इंद्र सिंह परिहार, गोविंद भंडारी, भवानी राम आदि शामिल थे।

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