हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, राज्य में औद्यौगिक, आवासीय व साइलेंट जोन का निर्धारण किया या नहीं
नैनीताल । हाई कोर्ट ने जिले के रामनगर के शक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से 31 मार्च तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि क्या राज्य में स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रीयल जोन और आवासीय जोन का निर्धारण किया गया है या नहीं। अगली 31 मार्च की तिथि नियत की है। सुनवाई के दौरान याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य को बने हुए 20 साल हो गए है, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि कौन सा क्षेत्र आवासीय है, कौन सा क्षेत्र औद्योगिक और कौन सा क्षेत्र साइलेंट जोन। जहां मर्जी, वहां स्टोन क्रशर खोले जाने के अनुमति दी जा रही है।शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रामनगर निवासी आनन्द सिंह नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
जिसमें कहा गया है कार्बेट नेशनल पार्क के समीप शक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहा है। स्टोन क्रशर के पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का लाइसेंस नही है। यह क्रशर कार्बेट नेशनल पार्क के समीप लगाया है। याचिकाकर्ता का कहना है यह भी कहना है उत्तराखंड में अभी तक राज्य सरकार द्वारा राज्य में साइलेंट जोन्र नए इंडस्ट्र्रीयल व रेजीडैंसियल जोन का निर्धारण नहीं किया है, बावजूद इसके किसी भी जगह स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे दी जाती है। लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए। मामले में अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी।