कोटद्वार-पौड़ी

उत्तराखंड में आफत की बारिश, नदी-नाले उफान पर, कई गांवों का संपर्क कटा

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देहरादून। उत्तराखंड में बारिश आफत बनकर बरस रही है। पिछले दो दिनों से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मसूरी में पिछले एक घंटे से मूसलाधार बारिश हो रही है। नदी-नाले उफान पर हैं। बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे के साथ ही पिथौरागढ़ और चमोली में चीन सीमा को जोड़ने वाले मार्ग मलबा आने से बंद हैं। इसके अलावा प्रदेश में भूस्खलन के कारण 200 से ज्यादा संपर्क मार्गों पर आवागमन बाधित है और 800 से अधिक गांव जिला मुख्यालयों से कट गए हैं। गढ़वाल में गंगा, मंदाकिनी और अलकनंदा, वहीं कुमाऊं में गोमती, सरयू, गोरी और काली नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश में कई जगह गंगा घाट जलमग्न हो गए हैं। नदियों के रौद्र रूप को देखते हुए कई शहरों में तटीय इलाकों को खाली करा दिया गया है।ाषिकेश में पुलिस की टीम तटीय क्षेत्रों में गश्त कर रही है।
कोटद्वार सहित पर्वतीय क्षेत्रों में रुक रुक कर बारिश हो रही है। एनएच पर यातायात सुचारू है। हालांकि, हल्दूखाल-नैनीडाडा – धूमाकोट, द्वारी-पेनो, कूल्हाड़-किनसुर सहित दस से अधिक मार्ग बंद हैं। मार्ग बंद होने के कारण 50 से अधिक गांव का सड़क संपर्क कट गया है।
मानसून के रफ्तार पकड़ते ही प्रदेश मुसीबत का दौर शुरू हो गया है। शुक्रवार दोपहर बाद शुरू हुआ बारिश का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। बारिश के चलते चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में भूस्खलन से बदरीनाथ और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवाजाही बंद है। हालांकि उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग पर यातायात सुचारु है। भूस्खलन के कारण पेयजल योजना क्षतिग्रस्त होने से चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के गांवों में पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।
कुमाऊं में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। पिथौरागढ़ का अन्य जिलों से सड़क संपर्क पांच दिन से कटा हुआ है। वहीं अल्मोड़ा, बागेश्वर व पिथौरागढ़ में दो आवासीय भवन व एक दुकान ध्वस्त हो गई। पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा से लगे अस्सी से अधिक गांवों का संपर्क भी भंग हो चुका है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग 11वें दिन भी बंद रहा। चम्पावत में घाट से टनकपुर के बीच 12 स्थानों पर मलबा आने से सड़क बंद हो गई है। कई निजी और सरकारी वाहनों समेत पिथौरागढ़ की ओर जा रहे सेना के एक दर्जन से अधिक वाहन भी फंस गए हैं।
दो दिन से लगातार बारिश के बीच भूस्खलन से केदारनाथ पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है। फिलहाल इस मार्ग पर प्रशासन ने आवाजाही रोक दी है। प्रशासन के अनुसार मौसम साफ होने पर ही मार्ग की मरम्मत शुरू हो पाएगी।
पर्वतीय क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।ाषिकेश व हरिद्वार में गंगा खतरे के निशान के करीब है।ाषिकेश में शुक्रवार आधी रात को गंगा चेतावनी निशान को पार कर गई थी। पुलिस और प्रशासन की टीम ने रात को आसपास की आबादी को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था। जलस्तर में वृद्घि से त्रिवेणी घाट का प्लेटफार्म पानी में डूब गया है, ज्यादातर घाट जलमग्न हो चुके हैं। केंद्रीय जल आयोग की टीमाषिकेश और हरिद्वार में लगातार जलस्तर पर नजर बनाए हुए है।
पानी में बड़ी मात्रा में गाद आने के चलते हरिद्वार में गंग नहर को बंद कर दिया गया है। बाढ़ चौकियां अलर्ट पर हैं और तटीय इलाकों में संवेदनशील स्थानों को खाली करा दिया गया है। हरिद्वार में आस्था पथ घाट, नमामि गंगे के घाट, कनखल और चंडीघाट श्मशान घाट पानी में डूबे हुए हैं। इसके अलावा हरिद्वार के पास लक्सर के कई गांवों में गंगा का पानी घुस गया। खेतों में काम कर रहे 40 से अधिक किसान घिर गए। इस पर एसडीआरएफ ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया। दूसरी ओर रुद्रप्रयाग में भी अलकनंदा बढ़ते जलस्तर को देखते हुए पुलिस ने मुनादी कर नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है।
पौड़ी जिले के श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर बने बांध से नियमित अंतराल पर पानी छोड़ा जा रहा है। बांध प्रशासन के अनुसार शुक्रवार से अब तक 3300 क्यूमेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सेंकेंड) पानी छोड़ा जा चुका है। दूसरी ओर चम्पावत जिले के टनकपुर में शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने पर बैराज के गेट खोल दिए गए हैं। इसके साथ ही तटवर्ती क्षेत्रों को अलर्ट जारी कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है।
24 घंटे में चमोली में सर्वाधिक बारिश
बीते 24 घंटे के दौरान चमोली में सर्वाधिक 193़22 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। जबकि चमोली के ही गैरसैंण में यह आंकड़ा 182़12 मिमी रहा। वहीं कुमाऊं के बागेश्वर में 142 और नैनीताल में 118 मिमी बारिश हुई है।
वाहन में पत्थर गिरने से एक की मौत
चम्पावत। सब्जी लेकर पिथौरागढ़ जा रहे वाहन के पहाड़ी से गिरे बोल्डर की चपेट में आने से उसमें सवार सब्जी कारोबारी की मौत हो गई। जबकि वाहन चालक मामूली रूप से घायल हो गया। टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे पर घाट में मलबा आने से सड़क बंद थी। चालक ने वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर दिया। इसी दौरान पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण बड़े-बड़े बोल्डर वाहन के उपर आ गिरे।

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