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भारतीय नौसेना ने आइएनएस विक्रांत के लिए गोवा में राफेल-मरीन का किया उड़ान परीक्षण

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कोलकाता,एजेंसी। फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान राफेल के समुद्री संस्करण का गोवा में सफल उड़ान परीक्षण किया गया है और इसके लिए परिस्थितियां ठीक वैसी ही बनाई गई थीं, जैसी स्वदेश विकसित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर होती हैं। एक शीर्ष राजनयिक ने यह जानकारी दी।
राफेल-एम की प्रतिस्पर्धा अमेरिका निर्मित सुपर हार्नेट से है। भारतीय नौसेना द्वारा 44,000 टन के आइएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए संभावित खरीद के लिए इन दोनों का मूल्यांकन किया जा रहा है। आइएनएस विक्रांत का अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में परीक्षण चल रहा है और यह अगस्त से सेवा में आ सकता है।
भारत में फ्रांस के राजदूत एमैनुअल लेनैं ने मंगलवार शाम को यहां कहा कि राफेल मरीन की आपके (भारत के) विमान वाहक पोत से उड़ान भरने की क्षमता देखने के लिए परीक्षण किए गए और ये अच्टे रहे। भारत के नये विमान वाहक पोत को ‘स्की-जंप’ लांच शिप की तरह डिजाइन किया गया है, जिससे कोई विमान इसकी गति की मदद से उड़ान भर सकता है और यह अन्य विमान वाहक पोतों से अलग है जो विमान के उड़ान भरने के लिए कैटापुल्ट लांच नामक उपकरण या तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
लेनैं ने कहा कि राफेल-एम विमान का पिछले महीने 12 दिन तक गोवा के आइएनएस हंसा केंद्र से परीक्षण किया गया और इसके लिए 283 मीटर की त्रिम स्की-जंप सुविधा का इस्तेमाल किया गया।
बोइंग के सुपर हार्नेट या एफध्ए-18 विमानों को भी भारत को बेचने के लिए पेशकश की जा रही है और अगले महीने इनका भी आइएनएस हंसा पर इस तरह का परीक्षण हो सकता है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि आपूर्तिकर्ताओं ने राफेल-एम और सुपर हार्नेट दोनों में बदलाव किए हैं ताकि उन्हें भारत के आर्डर के लिहाज से बनाया जा सके।

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