कोटद्वार-पौड़ी

आदिपुरुष जैसी फिल्मों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगना जरूरी : शंकराचार्य

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श्रीनगर गढ़वाल : ज्योतिर्मठ के जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि आदि पुरुष फिल्म जैसी गतिविधियां भावी पीढ़ी के मन में अनास्था पैदा करने का प्रयास है। कहा कि ऐसी गतिविधियों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगना चाहिए। कहा कि यह केवल एक फिल्म की बात नहीं है, आज वह आदि पुरुष है कल कोई और होगा। पूरा संत समाज इसको लेकर चिंतित है। कहा कि संत समाज ने एक सेंसर बोर्ड बनाया है, जिसका अभी अध्ययन चल रहा है कि कैसे उसका कार्य शुरू किया जाए। कहा कि इस तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह अंकुश लगाना हिंदू समाज के हित के लिए बहुत आवश्यक हो गया है।
शनिवार को जोशीमठ से लौटते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जोशीमठ की समस्याओं का समाधान नहीं होना गहरी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के कार्यों से धाम की दिव्यता प्रभावित न हो सरकार इसका संपूर्ण ध्यान रखा जाए। कहा कि प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर जोशीमठ की समस्याओं के समाधान के लिए उनका ध्यान आकर्षित किया गया है। पत्र में जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव की घटनाओं, विशेषज्ञों की जांच, और रिपोर्ट के सर्वाजनिक नहीं किए जाने की बात रखी गई है। कहा कि जोशीमठ से जुड़ी समस्त जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए। कहा कि बाईपास बनने से तीर्थ यात्रियों का जोशीमठ आना-जाना छूट जाएगा। जिससे स्थानीय लोगों के रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। (एजेंसी)

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