कोटद्वार-पौड़ी

16 फरवरी को जन आक्रोश रैली निकालेगी कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति

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गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार की समस्याओं का निराकरण नहीं होने पर जताया रोष
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में लगातार बढ़ रही समस्याओं पर कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति ने आक्रोश जताया है। कहा कि पूर्व में आश्वासन के बाद भी शासन-प्रशासन समस्याओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा। ऐसे में समिति ने 16 फरवरी को शहर में जन आक्रोश रैली निकालने का निर्णय लिया है। कहा कि जनता की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मंगलवार को कोटद्वार बचाओ संघर्ष सममिति के संयोजक नागेंद्र उनियाल के नेतृत्व में समिति के सदस्य तहसील परसिर में एकत्रित हुए। यहां उन्होंने उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा। समिति के संयोजक नागेंद्र उनियाल ने बताया कि राज्य गठन के बाद शहरवासियों को बेहतर विकास की उम्मीद थी। लेकिन, शासन-प्रशासन लगातार कोटद्वार की अनदेखी कर रहा है। कहा कि 18 अप्रैल 2015 को उत्तराखंड सरकार ने लालढांग व कोटद्वार रेंज के अधिकांश भाग को राजाजी राष्ट्रीय पार्क के बफर जोन में शामिल कर दिया था। जिसके कारण चिल्लरखाल-लालढांग का वन मोटर मार्ग नहीं बन पा रहा है। इसी बफर जोन में कण्वाश्रम-मवाकोट-पनियाली-कोटद्वार दुगड्डा हाइवे मोटर मार्ग भी है। जिससे कोटड़ी रेंज को पार्क के बफर जोन से मुक्त करना जरूरी है। पूर्व में सरकार ने कोटद्वार को जिला बनाने की घोषणा की थी। लेकिन, आज तक यह योजना धरातल पर रंग नहीं ला पाई। नतीजा, आज भी शहरवासियों को जिले से संबंधित कार्यों के लिए पौड़ी की दौड़ लगानी पड़ती है। जिससे उनका समय व धन बर्बाद होता है। कोटद्वार तहसील में स्थाई तहसीलदार की नियुक्ति न होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। फरियादी मायूस होकर तहसील से वापस लौट रहे हैं। कहा कि कोटद्वार तहसील में 12 सौ दाखिल खारिज व पांच सौ के लगभग संशोधन लंबित है। संघर्ष समिति ने ट्रेचिंग ग्राउंड व मोटर नगर बस अड्डे के निर्माण में गबन का आरोप लगाया। कहा कि पूरे मामले की सख्ती से जांच कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। समिति ने आश्वासन के बाद भी मेडिकल कॉलेज का निर्माण नहीं होने पर भी रोष व्यक्त किया। कहा कि पूर्व में आश्वासन के बाद भी मेडिकल कॉलेज निर्माण नहीं होने से जनता स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही है। समिति ने सरकारी नौकरियों में चतुर्थ श्रेणी, पुलिस होमगार्ड, पीआरडी, कांस्टेबल के पदों पर मूल निवास प्रमाण पत्र को अनिवार्य किए जाने, हिमांचल की तर्ज पर भू-कानून लागू किए जाने की मांग की है। कहा कि समस्याओं के निराकरण के लिए गंभीरता से कार्य किया जाना चाहिए। इस मौके पर केसी राम निराला, चित्रमणि देवलियाल, विनोद कुमार नेगी, राजेंद्र पंत, गुलाब सिंह रावत, हयात सिंह गुसांई मौजूद रहे।

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