कोटद्वार-पौड़ी

कोटद्वार में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा कर मांगी कोरोना वायरस के खात्मे के लिए दुआ सादगी से मनाई बकरीद, घरों में पढ़ी गई नमाज, अलर्ट रहा प्रशासन

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार में कुर्बानी के पर्व बकरीद पर शनिवार को घरों में नमाज अदा की गई। यह पहला मौका है जब ईद को इतनी सादगी से मनाया गया। देश में कोरोना की महामारी को देखते हुए प्रशासन ने सभी लोगों से घरों में ही नमाज अदा करने की अपील की थी। शनिवार को सुबह से ही घरों से लेकर मस्जिदों तक नमाज का दौर शुरू हो गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मस्जिदों में केवल पांच लोगों ने नमाज अदा की। नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की बधाई दी।
शनिवार को कोटद्वार में ईद की नमाज लोगों ने घरों में ही अदा की। इस दौरान सभी ने ईद-उल-अजहा की नमाज अदा कर कोरोना वायरस के खात्मे के लिए दुआ मांगी। लोगों ने फोन पर ही एक दूसरे को ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद दी। हालांकि प्रशासन की ओर से मस्जिदों में मौलाना समेत पांच लोगों को ही नमाज अदा करने अनुमति दी गई थी। यहां नगर की मस्जिदों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज अदा करने के बाद कुर्बानी का दौर शुरू हुआ। बदरीनाथ मार्ग स्थित जामा मस्जिद मौलाना बदरूल हसन अंसारी सहित पांच लोगों ने नमाज अदा की। उन्होंने ईद-उल-अजहा की नमाज अदा कराकर देश में कोरोना वायरस के खात्मे की दुआ मांगी। बता दें कि बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह के नाम बकरे की कुर्बानी देते है। प्रशासन की ओर से कोरोना संक्रमण के चलते ईदगाहों में सोशल डिस्टेसिंग का पालन को सके इसके लिए सुरक्षा के तौर पर मस्जिदों के बाहर पुलिस फोर्स तैनात किये गये। इस अवसर पर मौलाना बदरूल हसन अंसारी ने कहा कि त्योहार को सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनायें और ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचे। बकरीद त्याग व बलिदान का त्यौहार माना जाता है। कुर्बानी के बाद मन में छिपा झूठ और बुराई का अंत कर देना चाहिए। कुर्बानी ऐसी जगह न करें जहां किसी को कोई दिक्कत हो। उन्होंने कहा कि नेकी की राह पर चलने वाले बंदे ही अल्लाह को पसंद होते हैं। कुरान-ए-पाक से मिलने वाले संदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करने से अल्लाह खुश होते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के चेहरों पर ईद की खुशियां साफ देखी जा सकती थीं।

कोरोना के चलते ईद की रौनक रही फीकी
ईद में लोग गले मिलकर एक दूसरे के घरों में दावतों में शरीक होकर मिलजुल कर खुशी मनाते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। कोरोना महामारी के चलते सबने अपने घरों में ही ईद मनाई। नए कपड़े पहनने का रिवाज है। ईद उल अजहा से पूर्व बीते शुक्रवार को कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद-फरोख्त होती रही। बाजारों में कपड़े, खानपान का सामान खरीदने वालों की भीड़ रही। कोरोना संक्रमण के चलते शनिवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परंपरानुसार ईद-ए-अजहा (बकरीद) का त्यौहार सादगी के साथ घरों में शांति व भाईचारे के साथ मनाया। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने घर पर ही नमाज अदा कर देश की तरक्की और अमन चैन की दुआ मांगी। वहीं पुलिस प्रशासन ने नमाज को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।

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