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कोटद्वार विधानसभा: दैनिक जयन्त के तीखे सवाल- निर्दलीय प्रत्याशी धीरेन्द्र चौहान के जवाब

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नगर निगम में मेरे मना करने के बाद भी मेरी पत्नी को तैयार किया और विधान सभा के लिये मुझे तैयार रहने को कहा, लेकिन दोनों बार धोखा दिया भाजपा ने तो बगावत करना बनता था: निर्दलीय प्रत्याशी धीरेन्द्र चौहान

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प्रश्न- नगर निगम के चुनाव में भाजपा ने आपकी पत्नी को टिकट नहीं दिया तो आपने निर्दलीय चुनाव लड़ा और अब विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आपको टिकट नहीं दिया तो इस बार भी आप निर्दलीय मैदान में उतर गए। जिससे आपके विरोधी आपको बागी कह रहे हैं। विरोधियों के इस आरोप पर आप क्या कहना चाहेंगे।
उत्तर- नगर निगम के चुनाव में जब कोटद्वार सीट महिला आरक्षित हुई तो भाजपा की कई वरिष्ठ महिला कार्यकत्र्ताओं ने दावेदारी की थी। तब मुख्यमंत्री के पास रिपोर्ट गई, जिसमें बताया गया कि कोटद्वार से भाजपा उम्मीदवार सीट नहीं निकाल पाएंगे। तब मुख्यमंत्री जी को किसी ने सुझाव दिया कि धीरेंद्र चौहान की पत्नी को चुनाव लड़ाओ। जिस पर मुख्यमंत्री जी ने मुझे बुलाया और कहा कि आप अपनी पत्नी को चुनाव की तैयारी कराओ। उस वक्त मैने मुख्यमंत्री जी को मना किया था कि मेरी पत्नी कभी घर से बाहर भी नहीं निकली है, आप भाजपा के वरिष्ठ महिला कार्यकत्र्ताओं को चुनाव लड़ाओ हमारा पूरा सहयोग रहेगा। तब भी मुख्यमंत्री जी ने यही कहा कि भाजपा महिला कार्यकत्र्ता कोटद्वार से जीत दर्ज नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री के कहने पर हम तैयारी करने लगे, तभी हमें पता चला कि भाजपा ने किसी अन्य को कोटद्वार से प्रत्याशी बनाया है। जिससे जनता में आक्रोश बढ़ गया और यही कारण था कि जनता के कहने पर निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ। मैं पहले ही पार्टी को बता चुका था कि 2022 का चुनाव मैं लड़ना चाहता हूं। मुख्यमंत्री जी ने तब मुझसे कहा था कि आप तैयारी करो। जिस पर हम तैयारी कर रहे थे। इसके बावजूद अंतिम समय में हमारा टिकट काट दिया गया। इस बार भी जनता आक्रोशित हो गई और अब उन्हीं के कहने पर चुनाव लड़ रहा हूं।

प्रश्न- आपका कहना है कि कोटद्वार की जनता आपके साथ है और जनता के कहने पर ही आप चुनाव लड़ रहे हैं। इस बात को किस आधार पर कह रहे हैं।
उत्तर- जैसे ही भारतीय जनता पार्टी ने टिकट की घोषणा की और एक बार फिर पैराशूट प्रत्याशी कोटद्वार विधानसभा सीट पर उतार कर जनता पर थोप दिया गया तो जनता फिर से निराश हो गई। भाजपा के पहले पैराशूट प्रत्याशियों का भी जनता से कोई खास जुड़ाव नहीं था। आप महीने में एक बार आकर जनता की समस्याएं सुनकर चले जाते हो, जनता को ऐसा विधायक नहीं चाहिए। जनता ऐसा विधायक चाहती है जो जनता के साथ चौबीसों घंटे रहे। हर सुख-दुख में उनका साथ दे। इसी सोच के साथ जनता हमारे पास आई और कहा कि आप चुनाव लड़ो हम आपके साथ हैं। जनता का इन राष्ट्रीय पार्टियों से मोह भंग हो गया है।

प्रश्न- आप पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के राजनीतिक शिष्य हैं, लेकिन चुनावी मैदान में आप भाजपा प्रत्याशी ऋतु भूषण खंडूड़ी के विपक्ष में खड़े हैं, जो भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी हैं। गुरु की बेटी के खिलाफ आप किस प्रकार प्रचार करेंगे।
उत्तर- जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी जी हमारे आदर्श हैं। हमने सब कुछ उनसे सीखा है। वह ऐतिहासिक पुरुष हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उन्होंने कभी दिल्ली में ये नहीं कहा होगा कि कोटद्वार विधानसभा सीट से मेरी बेटी को टिकट दो। हम उनके खिलाफ जा ही नहीं सकते हैं। रही बात ऋतु भूषण खंडूड़ी के खिलाफ प्रचार की तो मैने आज तक उनके खिलाफ कुछ नहीं बोला है। वह मेरी छोटी बहन हैं और उनकी कोई गलती नहीं है। उनका कोटद्वार से चुनाव लड़ना भाजपा के दिल्ली में बैठे नेताओं की गलती है और हम उन्हीं के खिलाफ बोल रहे हैं।

प्रश्न- सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि एक प्रत्याशी को सरकारी नौकरी से बिना पेंशन के जबरिया घर भेजा गया है। वह बाहरी हैं और कभी जनता के सुख-दुख में साथ नहीं दिया, इस पर आप कुछ कहना चाहेंगे।
उत्तर- देखिये जब चुनाव होता है तो इस तरह की बातें सामने आती हैं। मैने 13 साल की नौकरी के बाद इस्तीफा दिया था, क्योंकि मेरे पिता जी की मृत्यु हो गई थी। तब धु्रवपुर में मेरी माता अकेली पड़ गईं थीं। हम तीन भाई थे और यह परिस्थिति आ गई थी कि अब मां के साथ कौन रहेगा। तब यह तय हुआ कि जिसका सबसे कम वेतन है, वह नौकरी छोड़ मां के साथ यहां रहेगा। मैरे दोनों भाई विदेश में थे और सबसे कम वेतन मेरा ही था तो मुझे इस्तीफा देना पड़ा और यहां मां के साथ रहा। तब से लेकर आज तक मैं और मेरी पत्नी यही हैं और मां की सेवा करते आए हैं। इस बीच रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहर जाना पड़ जाता है, इसके अलावा मैं हमेशा ही जनता के साथ खड़ा रहा हूं और उनके सुख-दुख में साथ दिया है। अगर ऐसा न होता तो मेरे साथ इतना बड़ा जन सैलाब नहीं उमड़ता।

प्रश्न- कोटद्वार की समस्याओं के लिए आपके द्वारा किए गए धरना-प्रदर्शन आदि के बारे में बताएं।
उत्तर- हमने हमेशा ही जनता के मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन व पुतले फूंके हैं। हमने उनकी मांग को ऊपर तक पहुंचाने का कार्य किया। हमारे प्रयासों के चलते कई समस्याओं का निस्तारण भी हुआ।

प्रश्न- कल तक आप भाजपा के साथ ही कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे और जनता तक भाजपा की उपलब्धियों को पहुंचा रहे। अब अचानक बदले समीकरणों के चलते आप किस प्रकार भाजपा के खिलाफ मुद्दों को उठाएंगे और जनता का विश्वास जीतेंगे।
उत्तर- मेरा सिर्फ यही कहना है कि इन राजनैतिक पार्टियों को जनता को समझना होगा, उन पर अपने फैसले थोपने से पहले उनकी राय भी लेना जरूरी है। आप जो भी नीति बनाते हैं उसमें सबसे पहले जनता की सहमति ली जाए। आप शिक्षा व्यवस्था क्यों जनता के अनुसार नहीं करते, स्वास्थ्य सेवाओं पर जनता की मांग के अनुसार क्यों कार्य नहीं किए जाते। हम इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच हैं कि जो जनता चाहती है, वही होना चाहिए।

प्रश्न- आप इस चुनावी समर में किसे अपना सबसे निकटतम प्रतिद्वंद्वी मानते हैं।
उत्तर- कोटद्वार में धीरेंद्र चौहान चुनाव नहीं लड़ रहा है, बल्कि उनके नाम पर जनता चुनाव लड़ रही है। अब यह चुनाव राजनीतिक पार्टियां बनाम जनता हो गया है। इसलिए अब कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है। यह आगामी 10 मार्च को साफ पता चल जाएगा।

प्रश्न- आपके अनुसार आपके प्रतिद्वंद्वियों की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है। जिसका फायदा आपको इस चुनावी रण में मिलेगा।
उत्तर- मैं किसी को भी प्रतिद्वंद्वी समझता ही नहीं हूं। जब जनता ही चुनावी मैदान में उतर गई है तो कोई प्रतिद्वंद्वी बचता ही नहीं है। रही बात कमजोरी की तो उसके बारे में मैं नहीं सोचता, क्योंकि मेरे साथ जनता है।

प्रश्न- धीरेंद्र चौहान को ऐसा क्यों लगता है कि जनता को उन्हें ही विधायक चुनना चाहिए, जो काम भाजपा या कांग्रेस नहीं कर सकते उसे धीरेंद्र चौहान पूरा कर सकते हैं।
उत्तर- ये मैने देखा कि जनता भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की नीतियों से त्रस्त है। इन पार्टियों के नेता वोट लेकर जीतने के बाद आम जनता को भूल जाते हैं। जनता को ऐसा व्यक्ति चाहिए जो उनकी सुने और उनका सम्मान करे। मुझे लगता है कि मैं जनता की इन उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरता हूं।

प्रश्न- यदि आप विधायक चुनकर आते हैं तो कोटद्वार के विकास के लिए ऐसे कौन से कार्य हैं, जिन्हें आप प्राथमिकता के आधार पर करना चाहेंगे।
उत्तर- यह चुनाव ऐतिहासिक होने वाला है। अब कोटद्वार की जनता ही कोटद्वार की दिशा और दशा तय करने वाली है। इस बार धीरेंद्र चौहान विधायक नहीं बन रहे हैं, बल्कि जनता विधायक बन रही है। जनता ही कोटद्वार की स्वास्थ्य से लेकर तमाम समस्याओं को निस्तारण करेगी। कोटद्वार में स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल के नाम पर ढांचा तो बना दिया है, लेकिन उसमें सुविधाएं कहां हैं। जब स्वास्थ्य मंत्री खुद बीमार पड़े तो उन्हें देहरादून के अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है।

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