कोटद्वार-पौड़ी

लॉकडाउन में मशरूम को बनाया आय का जरिया

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम के वार्ड नंबर 37 पश्चिमी झंडीचौड़ में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक युवा ने मशरूम की खेती को आय का जरिया बनाया है। युवा मशरूम से अच्छा मुनाफा कमा रहा है। युवा क्षेत्र में लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बना हुआ है। पार्षद सुखपाल शाह ने विजेन्द्र को सम्मानित कर अन्य युवाओं से भी उनसे प्रेरणा लेने की अपील की।
पार्षद सुखपाल शाह ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया में जब लॉकडाउन लगा तो बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले लोगों की नौकरियां गईं, देशभर से मजदूर जैसे-तैसे अपने घरों की तरफ भागे। पश्चिमी झंडीचौड़ निवासी विजेन्द्र सिंह चौहान ने एमएससी करने के बाद शहर में नौकरी करने चला गया था। वहां वह एक कंपनी में नौकरी कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण कंपनी बंद हो गई है और वह घर चला आया। विजेन्द्र ने मशरूम को स्वरोजगार के रूप में अपनाया और घर पर ही मशरूम की खेती करने लगे। मशरूम से उनकी अच्छी आमदनी हो रही है। पार्षद ने कहा कि मशरूम पोषण का भरपूर स्त्रोत है और स्वास्थ्य की दृष्टि के लिए काफी लाभदायक होते हैं। इसमें वसा की मात्रा न के बराबर होती है। प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट जैसे कई अम्ल पाए जाते हैं इसमें जो हृदय व हृदय संबंधित प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकते हैं। विशेषज्ञों की माने तो इसकी फसल अधिकतम 30 से 40 दिनों के भीतर काटने के लिए तैयार हो जाती है। उसके बाद आपको इसका फल दिखाई देने लगता है, जिसे आप आसानी से हाथ से ही तोड़ सकते हैं।
बता दें कि मशरूम की खेती लोगों के लिए अब फायदे का सौदा बन रही है। इसके प्रति लोगों का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। करीब पांच साल से लोगों में मशरूम की खेती तेजी से लोकप्रिय हुई है। लोगों की कड़ी मेहनत तथा अच्छे भाव मिलने के कारण मशरूम की खेती फायदे का सौदा साबित होने लगी। सीमित संसाधन में मशरूम की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। कम जगह में अधिक से अधिक फायदा देने वाली यह खेती कई लोगों के आय का जरिया बन रही है। शुरुआत में मशरूम की खेती करने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में आए सुधार को देखते हुए भारी संख्या में लोगों ने इसे अपना लिया।

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