उत्तराखंड

जसपुर में मानवता से प्रेम करने का संदेश दे गईं माता सुदीक्षा

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

काशीपुर। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने परमात्मा के रास्ते पर चलने का आह्वान करते हुए इंसानियत का पाठ पढ़ाया। इस दौरान श्रद्घालुओं ने माता से आशीर्वाद भी लिया। संत समागम में यूपी तथा उत्तराखंड के सीमावर्ती नगरों के श्रद्वालुओं ने हिस्सा लिया। शनिवार को आवास विकास के मैदान में निरंकारी संत समागम में पहुंची सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी को देखने और सुनने को हजारों की संख्या में श्रद्वालु उमड़ पड़े। महिला और पुरुष श्रद्घालुओं ने कतारबद्घ तरीके से उनके दर्शन कर आशीर्वाद लिया। उनकी सुरक्षा को जगह-जगह सुरक्षा कर्मी लगे थे। जबकि अन्य कार्यों के लिए सुरक्षा की कमान निरंकारी संभाले हुए थे। भक्तों ने गीत, भजन, कविताओं से सत्संग का भरपूर आनंद लिया। करीब ढाई बजे सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि मानुष्य जीवन अनमोल है। इसलिए अपने जीवनकाल में ही प्रभु परमात्मा की जानकारी प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ति कर ली जाए। समूचे ब्रह्मांड का कण-कण इस निराकार का ही अंश है। उन्होंने सारी मानवता से प्रेम करने का संदेश दिया। कहा कि किसी के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाना है, तभी सही मायनों में जीवन सफल हो सकता है। सतगुरु माता ने इंसानियत का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि पहले खुद को सुधारें, फिर संसार अपने आप सुधर जाएगा। सभी इंसानियत का रास्ता चुनें। निस्वार्थ सेवा भाव से कार्य करें। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कमल का फूल कीचड़ में खिलता है, लेकिन कीचड़ का प्रभाव उसपर नहीं आता है। वह हमेशा खुशबू देता है। कमल के फूल से शिक्षा लेकर अपने अंदर छिपी बुराइयों को दूर करने का आह्वान किया। इससे पहले आयोजक और जोनल प्रभारी राज कपूर ने सभी का स्वागत कर आभार व्यक्त किया। समागम में जिले समेत बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्घालू शामिल हुए। समागम में विधायक आदेश चौहान, पूर्व विधायक ड़ शैलेंद्र मोहन सिंघल, संजय कुमार, प्रकाश खेड़ा, दीपक कुमार, ओम प्रकाश आदि मौजूद रहे।
ऊर्द, हिंदी और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया
जसपुर। सद्गुरु माता ने अपने प्रवचनों में ऊर्दू, हिंदी और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया। करीब साढ़े 11 मिनट तक उन्होंने प्रवचन दिए। एक शेर पढ़कर श्रद्घालुओं को इंसानियत की सीख दी। समागम में श्रद्घालुओं के लिंए लंगर की भी व्यवस्था की गई थी। सद्गुरु माता शुक्रवार देर रात जसपुर आ गई थीं, तथा निरंकारी भवन में उन्होंने विश्राम किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!