उत्तराखंड

प्रातिक आपदा से हिमालयी जैव विविधता को गंभीर खतरा

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पिथौरागढ़। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा की ओर से जीआईसी बरम में जैव विविधता विषय पर कार्यशाला कराई गई। इस दौरान वैज्ञानिकों ने कहा सीमांत जनपद आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। प्रातिक आपदाओं से हिमालयी जैव विविधिता को गंभीर खतरा है। जिसके प्रभाव को कम या समाप्त करने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। रविवार को जीआईसी बरम में आयोजित कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश चंद्र सती ने किया। उन्होंने कहा सभी को जैव विविधता की महत्ता को समझना होगा। उन्होंने बरम क्षेत्र को आर्किड वैली के रूप में विकसित करने की बात कही। इस दौरान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ड़ आईडी भट्ट ने कहा हर वर्ष संस्थान की तरफ से जैव विविधता संरक्षण एवं प्रोत्साहन शिक्षा के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। कहा वर्तमान में मानव जनित गतिविधियों, वनाग्नि और प्रातिक आपदाओं से जैव विविधता प्रभावित हो रही है, जो भविष्य के लिए बढ़ा खतरा है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए सभी को एकजुट होकर गंभीरता से प्रयास करने होंगे। इस दौरान अन्य वैज्ञानिकों ने छात्रों के साथ विभिन्न उपयोगी जानकारी साझा की। इस मौके पर निबंध, चित्रकला सहित विभिन्न प्रतियोगिताएं कराई गईं, जिसको लेकर छात्रों में खासा उत्साह नजर आया। यहां ड़ सुबोध ऐरी, निशा, तनुजा, राहुल कुमार रहे।

 

 

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