उत्तराखंड

नई शिक्षा नीति में भी मिला है नई गुरुकुलीय शिक्षा को महत्व

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हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय का स्थापना दिवस कार्यक्रम का शुभारम्भ यज्ञ से किया गया। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए विवि के कुलपति प्रो़ सोमदेव शतांशु ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती के सपनों को मूर्त रूप देने के लिए स्वामी श्रद्घानन्द ने गुरुकुल कांगड़ी विवि की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि गुरुकुल के शिक्षक छात्रों को आधुनिक विषयों के साथ-साथ प्राचीन वैदिक शिक्षा व भारतीय संस्ति व संस्कारों से पल्लवित करने का कार्य कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी गुरुकुलीय शिक्षा को महत्व दिया गया है। छात्रों को संस्कारित करने के लिए आवासीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का विशेष महत्व है। इसके माध्यम से छात्र शिक्षकों के संरक्षण में संस्कारवान बनने की दिशा में अग्रसर होते हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो़ एलपी पुरोहित ने कहा कि हम सभी के लिए यह सौभाग्य का विषय है कि हम सभी शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय प्राचीन वैदिक शिक्षा व भारतीय संस्ति व संस्कारों के संरक्षण के पुरोधा स्वामी श्रद्घानन्द द्वारा स्थापित विवि में कार्य कर देश की युवा पीढ़ी को शिक्षा के क्षेत्र में संस्कारित करने का कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पर प्रो़ सुरेन्द्र त्यागी, प्रो़ वीके सिंह, ड़ विपुल शर्मा, प्रो़ डीएस मलिक, प्रो़ नवनीत, प्रो़ अंबुज शर्मा, प्रो़ सुचित्रा मलिक, प्रो़ विवेक गुप्ता, रजनीश भारद्वाज व शशिकान्त शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में प्रो़पंकज मदान, प्रो़ मयंक अग्रवाल, प्रो़ राकेश कुमार जैन, प्रो़क कर्मजीत भाटिया, ड़ वेदव्रत, प्रो़ सत्येन्द्र राजपूत, ड़ शिव कुमार चौहान, ड़ राकेश भूटियान आदि मौजूद रहे।

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