उत्तराखंड

9वें दिन भी धरने में बैठी रही आशा कार्यकत्रियां, विधायक के आश्वासन पर भी नहीं मानी

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पिथौरागढ़। मंगलवार को 9वें दिन भी आशा कार्यकत्रियां धरने में बैठी रही। इस दौरान विधायक चंद्रा पंत उन्हें मनाने पहुंची। लेकिन आशाओं कार्यकत्रियों ने उनकी नहीं मानी और धरने में डटी रही। आशाओं ने कहा सालों से उन्हें आश्वासन से मिला है। कहा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती वे कार्य पर नहीं लौटेंगी। विधायक पंत ने कहा आशाओं की मांगों को लेकर प्रयास कर रही है। कहा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत और सीएम पुष्कर सिंह धामी से वे इस संबंध में वार्ता करेंगी। कार्यकत्रियों ने कहा सरकार उनकी लगातार अनदेखी करती आ रही है। कहा कोरोना काल में जान जोखिम में डालकर भी उन्होंने एक योद्धा की तरह सेवा दी, लेकिन चार माह बाद भी उन्हें कोविड भत्ते की धनराशि नहीं मिली। अब जब कार्यकत्री अपना हक पाने को सड़क पर उतर आई हैं। तभी भी सरकार उनके सुनने को तैयार नहीं है। इधर बेरीनाग, गंगोलीहाट में आशा कार्यकत्रियां धरने में बैठी रही। उन्होंने कहा कि पक्की नौकरी और समाज में सम्मान नहीं मिलेगा, वे पीछे नहीं हटेंगी।
मुनस्यारी में आशाओं की मांग पर विधायक का समर्थन
मुनस्यारी। आशा कार्यकत्रियों की मांगों को सही ठहराते हुए विधायक हरीश धामी ने धरना दिया। मंगलवार को विधायक धामी एसडीएम कार्यालय के समीप धरना स्थल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा वर्तमान समय में आशाएं स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बन चुकी हैं। गर्भवती महिलाओं की जांच से लेकर नवजात बच्चों के टीकाकरण की जिम्मेदारी आशाओं पर ही है। कोविड काल में भी कार्यकत्रियों ने एक योद्धा की तरह अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। ऐसे में आशाओं की अनदेखी करना सरासर गलत है। वहीं आशाओं कार्यकत्रियों ने कहा अब अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कहा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी वे पीछे नहीं हटेंगी। यहां अध्यक्ष शांति देवी, उपाध्यक्ष मंजू देवी, कोषाध्यक्ष सीता देवी, सचिव तुलसी देवी, बसंती, तुलसी देवी, कलावती देवी, मंजू देवी, शांति देवी आदि मौजूद रहे।
धारचूला में आशाओं ने प्रदर्शन किया
धारचूला। विभिन्न मांगों को लेकर आशा कार्यकत्रियों ने नौवें दिन भी धरना दिया। मंगलवार को अध्यक्ष विजया ठगुन्ना के नेतृत्व में कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जान जोखिम में डालकर भी उन्होंने एक योद्धा की तरह सेवा दी, लेकिन चार माह बाद भी उन्हें कोविड भत्ते की धनराशि नहीं मिली। अब जब कार्यकत्री अपना हक पाने को सड़क पर उतर आई हैं। तभी भी सरकार उनके सुनने को तैयार नहीं है।

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