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‘एक-परिवार-एक-बच्चा’ नीति चीन पर पड़ी भारी, अब देश के सामने खड़ा हो गया यह नया संकट

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बीजिंग, एजेंसी। दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन के सामने अब नई चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल यहां साल दर साल आबादी में भारी गिरावट आ रही है, जो देश के लिए एक चिंता का बड़ा विषय बन गया है। चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार यहां हर साल तकरीबन 20.80 लाख आबादी कम हो रही है, जिसके चलते देश की आबादी घटकर अब 1.409 अरब रह गई है। चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो की विज्ञप्ति के अनुसार आधुनिक चीन गंभीर जनसांख्यिकीय चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें लिंग असंतुलन और बढ़ती आबादी शामिल है, जो 1970 के दशक के अंत में शुरू की गई चीन की “एक-परिवार-एक-बच्चा” नीति द्वारा लाई गई थी, जिसके तहत शहरों में परिवारों को केवल एक बच्चा पैदा करने की अनुमति थी और गांवों में यदि पहला बच्चा लड़की हो तो दो।
ब्यूरो ने बताया कि 2013 में, बीजिंग ने इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबंधों में ढील दी, उन जोड़ों को अनुमति दी, जहां परिवार में एकमात्र बच्चा है, उन्हें दूसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति दी गई और 2016 में सभी जोड़ों को एक से अधिक बच्चे पैदा करने की अनुमति दी गई। 2021 में, चीनी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति ने जनसंख्या और परिवार नियोजन पर कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी, जिससे जोड़ों को तीन बच्चे तक पैदा करने की अनुमति मिल गई और पहले से निर्धारित सभी जुर्माने और शुल्क को समाप्त कर दिया गया।
इन उपायों से जन्म दर में उछाल नहीं आया। इसके विपरीत, चीन में जन्म दर पिछले कई वर्षों में धीरे-धीरे कम हो रही है, 2016 में 1.77 करोड़, 2017 में 1.72 करोड़, 2018 में 1.52 करोड़, 2019 में 1.46 करोड़, 2020 में 1.2 करोड़, 2021 में 1.06 करोड़ और 2022 में 95.60 लाख दर्ज की गई। चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने पहले कहा था कि चीन ने 2022 में रिकॉर्ड-कम संख्या में विवाह दर्ज किए, केवल 68.33 लाख जोड़ों ने अपने रिश्ते को औपचारिक रूप दिया, जो 37 वर्षों में सबसे कम है।

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