प्रदेश की खेल नीति: विद्यालय स्तर पर शारीरिक शिक्षा को पाठयक्रम में शामिल किया जाय
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। खेल समिति राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं अन्तर्राष्ट्रीय फुटबाल कोच (एसजीएफआई) ने कहा कि उत्तराखण्ड खेल नीति में संशोधन किया जाना चाहिए। ताकि खेल प्रतिभाओं को लाभ मिल सके। उन्होंने विद्यालय स्तर पर शारीरिक शिक्षा को कक्षा 9 से 12 तक सीबीएससी की तर्ज पर विषय पाठयक्रम में जोड़ने, हरियाणा और गुजराज की तरह अन्तर्राष्ट्रीय पदक खिलाड़ियों को दस लाख रूपये और राष्ट्रीय पदक प्राप्त खिलाड़ियों को दो लाख रूपये तथा सरकारी नौकरी दिये जाने का प्रावधान करने, साई सेंटर की तर्ज पर राज्य खेल संस्थान की स्थापना करने, खेल महाकुम्भ जिलावार और मंडलवार आयोजित करने, कोटद्वार और टनकपुर हॉकी मैदान में ऐस्ट्रोटर्फ लगाने का सुझाव दिया है।
खेल समिति राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं अन्तर्राष्ट्रीय फुटबाल कोच (एसजीएफआई) सुनील रावत ने प्रदेश के खेल निदेशक को भेजे पत्र में कहा कि प्रदेश में स्थाई कोच/प्रशिक्षकों की विभागीय नियुक्ति, जिन सरकारी विद्यालयों में खेल मैदान हो उन विद्यालयों को कैम्प, खेल सामग्री एवं सरकारी अनुदान की व्यवस्था, प्रत्येक वर्ष विद्यालय राष्ट्रीय कोई एक खेल का आयोजन किया जाए, जो एसजीएफआई द्वारा प्रदेशों को दिया जाता है, संकुल स्तर पर राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को प्रोत्साहन स्वरूप सर्टिफिकेट और ईनाम धनराशि प्रदान की जाय, राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने वाले चयनित खिलाड़ियों को ऊंचाई वाले खेल मैदान रांसी पौड़ी/रानीखेत/चमोली/पिथौरागढ़ में प्रशिक्षण दिया जाय, जिससे उनके खेल प्रतिभा में निखार आ सके और वे पदक प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को बोर्ड परीक्षाओं में बोनस अंक, राज्य सरकार द्वारा संचालित स्पोर्टस कॉलेज देहरादून और पिथौरागढ़ में स्थाई प्रधानाचार्य की नियुक्ति की जाय और छात्रावासों में नियमित प्रशिक्षक नियुक्त किया जाय, रजिस्ट्रर्ड एवं मान्यता प्राप्त गैर सरकारी टूर्नामेंट के आयोजन हेतु सरकारी अनुदान दिया जाना चाहिए, विद्यालयी खेलों में निर्णायकों/कोच के रूप में राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाले शारीरिक शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाना चाहिए। सुनील रावत ने कहा कि रिफ्ररेशर कोर्स की व्यवस्था भी समय-समय पर की जानी चाहिए, जिससे प्रशिक्षकों और निर्णायकों को नये खेल नियमों की जानकारी समय से प्राप्त हो सके, खेलों में प्रतिभाग करने वाले विद्यालयों को शासकीय धनराशि की व्यवस्था संकुल से कॉलेज स्तर तक जिलेवार की जाय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को मंहगाई दर से दैनिक भत्ता दिया जाय।