सड़क पर उतरे दिव्यांग, अधिकार अधिनियम लागू करने की मांग
कोटद्वार शहर में दिव्यांगों ने निकाली सशक्तिकरण रैली
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : अपने अधिकारों की मांगों को लेकर दिव्यांगजनों से सड़क पर उतरकर आक्रोश रैली निकाली कहा कि दिव्यांग लंबे समय से अपनी समस्याओं के निराकरण की मांग उठा हरे हैं। लेकिन, हर बार उन्हें अनदेखा किया जाता है। दिव्यांगों ने सरकार से उनकी स्थिति पर ध्यान देते हुए प्रदेश में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को भी लागू करने की मांग उठाई।
गुरुवार को क्षेत्र के दिव्यांग जन दिव्यांग हितों के लिए कार्य कर रही संस्था सक्षम के बैनर तले झंडाचौक में एकत्रित हुए। इसके उपरांत वे रैली की शक्ल में तहसील पहुंचे और उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में दिव्यांगों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। कहा कि दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिये राज्य सरकार को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 को अविलंब लागू करना अति आवश्यक है। केंद्र सरकार द्वारा यह अधिनियम 28 दिसंबर 2016 को इस आशय के साथ लागू किया गया था कि देश के सभी राज्य इसे अपने-अपने प्रान्तों में यथाशीघ्र लागू करें, परन्तु उत्तराखंड राज्य ने इसे आज तक गम्भीरता से नहीं लिया। ज्ञापन में दिव्यांगजनों के हितार्थ अलग से दिव्यांग विभाग का गठन करने, अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी दिव्यांगजनों को 3100 रूपये मासिक पेंशन देने, संस्था को प्रांतीय कार्यालय एवं दिव्यांगजन विश्राम गृह हेतु राजधानी देहरादून में भवन अथवा भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराने, सुनने-बोलने में असमर्थ दिव्यांगजनों के प्रमाणीकरण हेतु प्रत्येक जिले में संसाधन युक्त परीक्षण कक्ष निर्मित कराने, यूडीआइडी कार्ड के आधार पर दिव्यांगजनों की पेंशन जारी करने, दिव्यांगजनों के पेंशन हेतु अभिभावकों के 4000 रुपये का मासिक आय प्रमाण पत्र की बाध्यता समाप्त करने और भारत सरकार की भांति राज्य के दिव्यांगजन आयुक्त कार्यालय को सक्रिय करते हुए उनके निर्णयों का संकलन कर सुरक्षित रखने की मांग की गई है। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रांत सचिव कपिल रतूड़ी, कोटद्वार इकाई अध्यक्ष योगंबर रावत, उपाध्यक्ष सुदीप बौंठियाल, सचिव विपुल उनियाल, जितेंद्र रावत, कविता मलासी और शशि भूषण अमोली सहित कई दिव्यांगजन शामिल रहे।