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महामारी से मौतों पर सवाल: कोरोना से हुई मौतों पर बना डब्ल्यूएचओ का मडल विवादों में, जानें भारत क्यों कर रहा इसका विरोध

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नई दिल्ली , एजेंसी। दुनिया में कोरोना की वजह से अब तक 62 लाख से ज्यादा मौतें दर्ज हो चुकी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस महामारी से हुई अतरिक्त मौतों को गिनने के लिए गणतीय मडल बनाया है। इस मडल के आधार पर दावा किया गया है कि भारत में कोरोना की वजह से अब तक 35 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। हालांकि, भारत ने डब्ल्यूएचओ के इस मडल को खारिज कर दिया है। इस रिपोर्ट को खारिज करने की वजह इसके दो अलग-अलग आधार हैं।
डब्ल्यूएचओ का मडल क्या है? इस मडल के आधार पर किस देश में कितनी मौतों का अनुमान है? भारत ने इस मडल को लेकर विरोध क्यों जताया है? क्या और किसी देश ने भी डब्ल्यूएचओ के इस मडल का विरोध किया है? आइये समझते हैं
कोरोना से कुल मौतों के लिए डब्ल्यूएचओ ने जो गणतीय मडल बनाया, उसमें देशों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में शामिल देशों ने जितनी मौतें रिपोर्ट की हैं उन्हें ही वास्तविक मौतों का आंकड़ा माना गया है। जबकि, दूसरी श्रेणी में शामिल देशों में जितनी मौतें रिपोर्ट हुईं उन पर एक गणतीय मडल लगाकर उसमें मौतें जोड़ी गईं। भारत को दूसरे श्रेणी में रखा गया है।
दरअसल, सारा विवाद अमेरिकी अखबार न्यूयर्क टाइम्स (एनवाईटी) की एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ। इस रिपोर्ट में कहा गया कि डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर में कोरोना से हुई मौतों का गणतीय आधार पर आंकलन किया है। इसके मुताबिक, इस महामारी से अब तक करीब डेढ़ करोड़ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यानी, दुनियाभर के देशों द्वारा रिपोर्ट हुई कुल 62 लाख मौतों से दोगुना लोगों की कोरोना ने जान ली।

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