बिग ब्रेकिंग

सरकारी बैंकों के निजीकरण से नुकसान वाले लेख पर आरबीआइ ने दी सफाई, कहा- खिघ्लाफ नहीं लेकिन धीरे-धीरे आगे बढ़ना ही सही

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। एक दिन पहले आरबीआइ के कुछ शोधार्थियों ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि बड़े पैमाने पर बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। इस तर्क के पीटे तमाम वजहें भी बताई गई थीं कि कैसे भारत जैसे देश में सरकार की विभिन्न योजनाओं को लागू करने में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इतना ही नहीं कोरोना के दौरान इन सरकारी बैंकों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
हालांकि जब इस रिपोर्ट को मीडिया ने काफी तवज्जो दी तो शुक्रवार को केंद्रीय बैंक की तरफ से सफाई जारी की गई। आरबीआइ ने कहा कि ना तो वह निजीकरण के खिलाफ है और ना ही यह रिपोर्ट उसका आधिकारिक रुख है। हालांकि खास बात यह है कि इस सफाई में उक्त रिपोर्ट की किसी बात को गलत नहीं ठहराया गया है बल्कि रिपोर्ट के तथ्यों को फिर से सामने रखा गया है कि भारत में बैंक निजीकरण को लेकर धीरे-धीरे आगे बढ़ना ही बेहतर होगा।
आरबीआइ ने कहा है कि निजीकरण को सभी समस्याओं का हल माना जाता है, लेकिन आर्थिक समझदारी यह कहती है कि हमें इस बारे में काफी बारीकी से विचार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। एक साथ बड़े स्तर पर निजीकरण करने से फायदे से ज्यादा नुकसान होगा।
सरकार की तरफ से दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा गया है। इस तरह की नीति से यह सुनिश्चित होगा कि बड़े पैमाने पर निजीकरण करने से समाजिक नीतियों को लागू करने में कोई परेशानी नहीं हो। सरकार की इस नीति को सही ठहराते हुए आरबीआइ ने कहा है कि शोधार्थियों ने भी कहा है कि धीरे धीरे निजीकरण से ज्यादा फायदे होंगे।
आरबीआइ की यह रिपोर्ट तब आई है जब केंद्र सरकार दो सरकारी बैंकों और आइडीबीआइ बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश में है। माना जा रहा है कि आरबीआइ की रिपोर्ट से निजीकरण प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है, इसलिए केंद्रीय बैंक को सफाई देनी पड़ी है।
इसके अलावा कुछ हफ्ते पहले ही नीति आयोग के पूर्व वाइस-चेयरमैन अरविंद पनगढिघ्या ने हाल ही में एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें कहा है कि एसबीआइ को छोड़कर अन्य सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर देना चाहिए। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर चार बड़घ्े बैंक बनाने का फैसला किया था। उसके पहले वर्ष 2019 में देना बैंक व विजया बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय कर दिया गया था। इससे देश में अब सरकारी बैंकों की संख्या घट कर 10 रह गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!