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विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष: सही आहार-विहार, स्वस्थ जीवन का आधार: रीना सिंह

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गैर संचारी रोगों के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करना जरूरी
40 साल की उम्र के बाद होने वाली बीमारियाँ अब 30 में ही रहीं घेर
रवीश पाण्डेय

जन संघ सेवक मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष आयरन लेडी, भाजपा नेत्री रीना सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और बदलती जीवन शैली ने सबसे अधिक युवा पीढ़ी को प्रभावित किया है। जीवन में जल्दी से जल्दी बहुत कुछ हासिल कर लेने की चाह ने जहाँ उनके सुकून को छीन लिया है वहीँ उनके पास न तो सही से खाने का वक्त होता है और न ही सोने का। फास्ट फूड और दिखावे के लिए शराब और सिगरेट का सहारा लेने वाले युवाओं में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और हाइपरटेंशन जैसे गैर संचारी रोग अब 30 साल की उम्र में ही शरीर पर कब्ज़ा जमाने लगे हैं, जबकि यह बीमारियाँ पहले 40 साल की उम्र के बाद की मानी जाती थीं।
इन्हीं परिस्थितियों से लोगों को उबारने के लिए ही हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना दिवस पर सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जिसका मूल मकसद लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए जरूरी परामर्श के साथ जागरूक भी करना है। हर साल अलग-अलग थीम पर मनाये जाने वाले दिवस की इस बार की थीम है बिल्डिंग अ फेयरर, हेल्दियर वल्र्ड (एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण)। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनएस तोमर का स्पष्ट कहना है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि सही पोषण के साथ ही ध्यान, योग और प्राणायाम को भी जीवन में शामिल किया जाए। शारीरिक श्रम से मुंह मोड़ने का ही नतीजा है कि शरीर बीमारियों का घर बन रहा है। गैर संचारी रोगों से बचने के लिए जरूरी है कि हर रोज कम से कम 45 मिनट तक कड़ी मेहनत व शारीरिक श्रम किया जाए। इससे हृदय रोग और डायबिटीज से शरीर को सुरक्षित बना सकते हैं। इसके अलावा तम्बाकू उत्पादों के सेवन और शराब से नाता तोड़ने में ही सही सेहत के सारे राज छिपे हैं। इन बीमारियों के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ही सरकार ने घर के नजदीक ही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्थापित करने के साथ ही वहां पर इन बीमारियों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था के साथ ही योगा क्लास और काउंसिलिंग की भी व्यवस्था की है। सरकार हर किसी को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल, किशोर-किशोरी स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों और गर्भवती के सही पोषण की व्यवस्था कर रही है। हर क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति की गयी है जो स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी मुश्किल में साथ खड़ी नजर आती हैं। हर रविवार को स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेला का आयोजन हो रहा है ताकि लोग छुट्टी के दिन को सेहत दिवस के रूप में मना सकें।

स्वस्थ जीवन के लिए है जरूरी
-संतुलित आहार लें, फल व सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं
-नियमित व्यायाम से शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखें
– तनाव मुक्त रहें, कोई दिक्कत हो तो परिवार से शेयर करें
-प्रतिदिन छह से सात घंटे की निद्रा या आराम जरूरी
– वजन को संतुलित रखें
– दिक्कत महसूस हो तो प्रशिक्षित चिकित्सक से ही संपर्क करें

स्वस्थ रहना है तो क्या न करें
– चीनी व नमक का अधिक इस्तेमाल न करें
– तम्बाकू और शराब का सेवन न करें
-तले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें

वेजिटेवल चाइल्ड बनायें न कि बर्गर चाइल्ड
किंग जार्च चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य कांत का कहना है कि कोरोना ने रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) की अहमियत को साबित कर दिया है। इसलिए बच्चों की इम्युनिटी पर खास ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वही देश के भविष्य हैं। बच्चों के खाने में हरी साग-सब्जियों और मौसमी फलों को अवश्य शामिल करें ताकि वह शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ बन सकें। फास्ड फूड-बर्गर-पिज्जा से सिर्फ स्वाद मिलता है न कि रोगों से लड़ने की क्षमता। इसलिए उनको वेजिटेवल चाइल्ड बनाएं न कि बर्गर चाइल्ड। इसके साथ ही मास्क से मुंह व नाक को ढककर ही बाहर निकलें, इससे कोरोना से ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे।

कोरोना काल की अच्छी आदतों को अपनाएँ रखें

​कोविड-19 का संक्रमण पिछले माह से एक बार फिर रफ्तार पकड़ रहा है, ऐसे में पिछले एक साल में कोरोना से बचने के लिए अपनायीं गयीं अच्छी आदतों को छोड़ने की भूल कदापि न करें। जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क लगाकर निकलें, दूसरे लोगों से हमेशा दो गज की दूरी बनाकर रखें, किसी चीज़ को छूने के बाद अपने हाथों को सेनेटाइज करते रहें और हवादार जगहों पर ही जाएँ। आइए, इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर यह संकल्प लें कि इस महामारी को अपने सम्मिलित प्रयासों से फिर से क़ाबू में लाएँगे । हमारे स्वजन जो इस महामारी की चपेट में हैं, उनसे नियमित रूप से फ़ोन या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सम्पर्क बनाए रखिए। ऐसा करना उनके मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

आम आदमी की पहुँच में है होम्योपैथी पद्धति
विश्व स्वास्थ्य दिवस का संकल्प दुनिया के सभी देशों के नागरिकों को स्वस्थ रखने के लिए नीतियाँ निर्धारित कर लागू कराना है परन्तु अभी तक सभी को स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाया है । बीमारियां लगातार बढ़ती जा रहीं हैं, इसलिए यदि सभी को स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध करानी है और सार्वभौमिक स्वास्थ्य आच्छादन के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो होम्योपैथी जैसी कम ख़र्चीली, सरल, दुष्परिणाम रहित, आम आदमी की पहुँच वाली पद्धति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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