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शासन ने रोडवेज कार्यशाला के लिए आवंटित भूमि की दोबारा रिपोर्ट मांगी

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार रोडवेज डिपो की कार्यशाला के लिए आवंटित भूमि नदी श्रेणी होने के चलते पूर्व में निरस्त हो गई थी। शासन ने दोबारा जिला प्रशासन से आवंटित भूमि की रिपोर्ट देने को कहा है। स्थानीय प्रशासन ने दोबारा जांच करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बता दें कि वर्ष 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के निर्देश पर कोटद्वार रोडवेज डिपो की कार्यशाला के लिए यहां खूनीबड़ में 0.265 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई थी, लेकिन तब से कार्यशाला के निर्माण का मामला अधर में ही लटका रहा। वर्ष 2012 में कांग्रेस सत्तासीन हुई और तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कार्यशाला के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की, लेकिन बस अड्डे के आधुनिकीकरण का प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतरा। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद तीन जून 2017 को कोटद्वार आगमन के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एक बार फिर कार्यशाला के निर्माण को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया, लेकिन चार साल बाद भी समस्या हल नहीं हुई। नतीजा उत्तराखंड परिवहन निगम के कोटद्वार डिपो का अपना बस अड्डा नहीं होने के कारण स्टेशन रोड स्थित कार्यशाला से ही बसों का संचालन होता आ रहा है। कार्यशाला में बसों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण बसों का संचालन स्टेशन रोड से ही होता आ रहा है।
ज्ञातव्य हो कि पूर्व में खूनीबड़ में स्वीकृति भूमि पर वर्कशॉप निर्माण के लिए आवंटित भूमि नदी श्रेणी की होने की वजह से भूमि निरस्त कर दी गई थी। उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने बताया कि खूनीबड़ में रोडवेज डिपो की कार्यशाला के लिए आवंटित भूमि की रिपोर्ट बनाने के लिए जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल ने आदेश दिये है। तहसीलदार कोटद्वार और सिंचाई विभाग की टीम रिपोर्ट तैयार करेगी। रिपोर्ट तैयार होने के बाद जिलाधिकारी को भेजी जायेगी।

परिवहन निगम का महत्वपूर्ण डिपो है कोटद्वार
कोटद्वार। उत्तराखण्ड परिवहन निगम का कोटद्वार डिपो सबसे महत्वपूर्ण है। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों यात्री बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव, जयपुर राजस्थान, चंडीगढ़, अमृतसर, हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश सहित अन्य शहरों को आवाजाही करते है। त्योहार और शादियों के सीजन में तो डिपो से दिल्ली के लिए अतिरिक्त बसों का संचालन करना पड़ता है। सामान्य दिनों में जहां दिल्ली मार्ग पर करीब 24 बसों का संचालन डिपो से होता है तो त्योहार और शादियों के सीजन में 28 से 30 बसों का संचालन दिल्ली मार्ग पर करना पड़ता है। मैदानी मार्गों के अलावा पहाडी मार्गों पर भी डिपो की ओर से बसों का संचालन किया जाता है। लेकिन डिपो के पास बस अड्डा न होने से बसों का संचालन कार्यशाला से ही रहा है, कार्यशाला में भी पर्याप्त जगह न होने से अधिकांश बसों का संचालन स्टेशन रोड से ही होता है। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बीस साल बाद भी कोटद्वार डिपो को बस अड्डा नहीं मिल पाया है। जबकि यह प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण डिपो है।

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