कोटद्वार-पौड़ी

अंबेडकर जयंती पर गोष्ठी का हुआ आयोजन 

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जयन्त प्रतिनिधि।

कोटद्वार : राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार गढ़वाल में” सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार”शीर्षक पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।

राजनीति विज्ञान विभाग एवं इतिहास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से “सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचार” विषय पर गोष्ठी का आयोजन प्राचार्य प्रो. जानकी पंवार के दिशा निर्देशन में किया गया किया गया। गोष्ठी का संचालन करते हुए आयोजन सचिव राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी ऐसे बुद्धिजीवी थे, जिन्होंने अपना जीवन समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया। एम.ए. चतुर्थ सेम. अंग्रेजी की छात्रा ज्योति रावत ने बताया कि अंबेडक के द्वारा ही हम सभी को अधिकारों की प्राप्ति हुई है। राजनीति विज्ञान की प्राध्यापिका डॉ. पूनम गैरोला ने अम्बेडकर की सामाजिक न्याय की अवधारणा के बारे में अपने विचार रखे। इसी क्रम में भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. मुकेश रावत ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी अम्बेडकर के विचारों से प्रेरित होकर जातिवादी मानसिकता को पीछे छोड़ आगे बढ़ रही है। समाज शास्त्र विभाग की प्राध्यापिका डॉ. कविता रानी ने कहा कि अम्बेडकर की ही की देन है जिसके कारण भारत में नागरिकों के अधिकार सुरक्षित हैं। हिंदी विभाग से डॉ. कपिल देव थपलियाल ने बताया कि कैसे अम्बेडकर ने अपनी विद्वता के आधार पर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई। राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. संत कुमार ने कहा कि पूरे विश्व में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जैसा कोई विद्वान नहीं है। अर्थशास्त्र के प्राध्यापक प्रो. पीएन यादव ने बताया कि वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। चित्रकला के प्राध्यापक डॉ. विनोद सिंह ने कहा कि समाज सुधार हमेशा डॉ. अम्बेडकर की प्रथम वरीयता रही। उनका विश्वास था कि आर्थिक और राजनीतिक मामले समाजिक न्याय के लक्ष्य की प्राप्ति के बाद निपटाये जाने चाहिए। इतिहास विभाग से डा. जुनिश कुमार ने कहा कि अम्बेडकर का जाति प्रथा का विरोधी होने का मुख्य कारण उनके स्वयं का भुक्त भोगी होना था वह जाति प्रथा को वर्ण व्यवस्था का आधुनिक और घृणित रूप मानते थे। डॉ. धनेन्द्र पंवार ने कहा कि अम्बेडकर के विचार वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। अंग्रेजी विषय के डॉ. सोमेश ढौंडियाल ने कहा कि अम्बेडकर का विश्वास था कि शिक्षा अस्पृश्यों के सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देगी। गोष्ठी के अंत में प्रभारी प्राचार्य डॉ अभिषेक गोयल ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि अंबेडकर के समय में भारतीय समाज में जहां एक और सामाजिक बुराइयां प्रचलित थी उसके बावजूद भी अंबेडकर जी ने अपनी शिक्षा के आधार पर संघर्ष कर समाज के उच्च स्तर पर पहुंचकर यह दिखा दिया कि शिक्षा के आधार पर आप एक ऊंचे स्थान को प्राप्त कर सकते हैं, इसीलिए छात्र छात्राओं को अपने जीवन में शिक्षा को महत्व देते हुए आगे बढ़ना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. सुरेखा घिल्डियाल, डॉ.अमित गॉड डॉ. सुमन कुकरेती सहित महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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